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G-20 शिखर सम्मेलन की सफलता से भारतीय शेयर बाजार का सबसे प्रमुख सूचकांक निफ्टी पहली बार 20 हजार अंक के पार पहुंच गया।

यह दिन भर 20 हजार के ऊपर बना रहा, हालांकि सत्र की समाप्ति पर मुनाफावसूली के चलते निफ्टी 20 हजार से नीचे आ गया। 19 हजार से 20 हजार का यह सफर निफ्टी ने 52 कारोबारी दिनों में पूरा किया। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार एक लंबे बुल रन से गुजर रहे हैं और यह अगले 5 से 10 साल ने भी आज के कारोबारी सत्र में 67000 का आंकड़ा पार किया और 0.78 प्रतिशत की तेजी के साथ 67127.08 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी 0.89 प्रतिशत की तेजी के साथ 19996.35 अंक पर हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी ने 20008.15 अंक का अब तक उच्चतम स्तर छुआ। इरकॉन इंटरनेशनल 19.97 और आरवीएनएल 16.40 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुए।

सेंसेक्स आज 67000 के पार बंद हुआ है।

 भारतीय शेयर बाजार के लिए सोमवार का कोराबारी सत्र एतिहासिक रहा। बाजार के मुख्य सूचकांक में से एक निफ्टी ने 20000 के स्तर को छुआ। हालांकि, इस स्तर पर टिकने में कामयाब नहीं रहा। बाजार में आज करीब सभी सेक्टरों ने अच्छा प्रदर्शन किया। सरकारी शेयरों खासकर रेलवे से जुड़े स्टॉक्स में सबसे ज्यादा तेजी दिखी और इरकॉन इंटरनेशनल 19.97 और आरवीएनएल 16.40 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुए।

सेंसेक्स ने भी आज के कारोबारी सत्र में 67,000 का आंकड़ा पार किया और 0.78 प्रतिशत की तेजी के साथ 67,127.08 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी 0.89 प्रतिशत की तेजी

सेंसेक्स के टॉप गेनर्स और लूजर्स

पावर ग्रिड, एक्सिस बैंक, मारुति सुजुकी, एचसीएल टेक,एसबीआई, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील,नेस्ले, एनटीपीसी, टीसीएस, विप्रो, जेएसडब्लू स्टील, रिलायंस, आईटीसी, एमएंडएम, एचयूएल, कोटक महिंद्रा, एशियन पेंट्स,आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फिनसर्व, सन फार्मा, भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा और इंडसइंड बैंक बढ़त के साथ बंद हुए। आज के सत्र में केवल बजाज फाइनेंस और एलएंडटी गिरावट के साथ बंद हुए।

विदेशी बाजारों का क्या है हाल?

एशिया  में मिला-जुला माहौल देखने को मिल रहा है। टोक्यो, हांगकांग और ताइपे के बाजार गिरावट के साथ बंद हुए हैं। वहीं, सियोल और शंघाई के बाजार हरे निशान में बंद हुए हैं। अमेरिका के बाजार शुक्रवार के सत्र में हल्की बढ़त के साथ बंद हुए थे। कच्चे तेल की कीमत में हल्की गिरावट देखी जा रही है। ब्रेंट क्रूड का रेट 90.42 डॉलर प्रति बैरल है।

के साथ 19,996.35 अंक पर हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी ने 20,008.15 अंक का अब तक उच्चतम स्तर छुआ।

Edited by :sachin lahudkar

केंद्र सरकार ने जीएसटी लकी ड्रा योजना मेरा बिल मेरा अधिकार को लॉन्च किया।

Aajtakkhbhar: सरकार ने आज जीएसटी लकी ड्रा योजना मेरा बिल मेरा अधिकार को लॉन्च किया। यह कार्यक्रम छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है, और इस वर्ष पुरस्कार राशि में 30 करोड़ रुपये देने का वादा किया गया है। आपको बता दें कि फिलहाल यह योजना पायलट स्कीम के आधार पर शुरू कि गई है।

केंद्र सरकार ने आज जीएसटी लकी ड्रा ‘मेरा बिल मेरा अधिकार’ योजना की शुरुआत की। यह योजना छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू की गई जिसमें इनाम के लिए इस वित्तीय वर्ष 30 करोड़ रुपये अलग रखा गया है।

राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ​​ने कहा कि ‘मेरा बिल मेरा अधिकार GSTलकी ड्रा छह राज्यों में पायलट आधार पर शुरू किया जा रहा है और पुरस्कार राशि में केंद्र और राज्यों द्वारा समान रूप से योगदान दिया जाएगा।

इन राज्यों में शुरू हुई योजना:सरकार ने असम, गुजरात और हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, दादरा नगर हवेली और दमन और दीव में 1 सितंबर को पायलट आधार पर मेरा बिल मेरा अधिकार शुरू की योजना के तहत हर महीने 810 लकी ड्रा होंगे और हर तिमाही में 2 बंपर लकी ड्रॉ होंगे। मासिक ड्रा में प्रत्येक 10,000 रुपये के पुरस्कार मूल्य के जीएसटी चालान के 800 लकी ड्रा और 10 लाख रुपये के प्रत्येक पुरस्कार के साथ 10 ड्रा शामिल हैं।आपको बता दें कि राजस्व

सचिव संजय मल्होत्रा ​​ने आज मीडिया से बातचीत के दौरान यह बताया कि बिते महीने अगस्त में सालाना आधार पर जीएसटी संग्रह 11 प्रतिशत बढ़कर 1.60 लाख करोड़ रुपये हो गया है। जीएसटी संग्रह में वृद्धि का कारण बढ़ते अनुपालन और जीएसटी की चोरी में आई कमी को बताया गया है।GST वस्तु एवं सेवा कर, वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एक अप्रत्यक्ष कर है।

यह एक बहु-स्तरीय, गंतव्य-उन्मुख कर है जो प्रत्येक मूल्यवर्धन पर लगाया जाता है, जो वैट, उत्पाद शुल्क, सेवा कर आदि सहित कई अप्रत्यक्ष करों की जगह लेता है। वस्तुओं और सेवाओं को पूरे भारत के लिए एक ही घरेलू अप्रत्यक्ष कराधान कानून के तहत शामिल किया गया है। 

अडाणी मामले में 22 आरोपों की जांच पूरी की, पांच देशों से ये जानकारी आने का अभी इंतजार l

Aajtakkhbhar:

Supreme Court:-2023 की शुरुआत में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म Hindenburg की ओर से अडानी ग्रुप को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की गई थी, जिसमें समूह पर 88 गंभीर सवाल उठाए गए थे lसुप्रीम कोर्ट की ओर से मार्केट रेग्युलेटर को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच रिपोर्ट 14 अगस्त 2023 तक सब्मिट करने के लिए कहा गया था, लेकिन

सेबी ने अपनी रिपोर्ट 25 अगस्त को कोर्ट में दाखिल कर दी थी. बता दें कि सेबी की ओर से अडानी समूह के एक्टिविटीज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कुल 24 जांच की जा रही हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो इन 24 जांचों में से 22 का फाइनल रिजल्ट आ चुका है l

जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया गया 

हालांकि सेबी ने इन जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया लेकिन उसने संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन के साथ जांच में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा दिया है। बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सेबी इस जांच के नतीजों के आधार पर कानून के अनुरूप उचित कार्रवाई करेगा।” यह रिपोर्ट अडाणी समूह की कंपनियों की शेयरों के भाव में हेराफेरी, संबंधित पक्षों के साथ लेनदेन का खुलासा करने में कथित नाकामी और समूह के कुछ शेयरों में भेदिया कारोबार प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों पर अपनी अंतिम राय रखती है। हालांकि विदेशी फर्जी कंपनियों के जरिये अपनी ही कंपनियों में निवेश करके न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के प्रावधान का उल्लंघन करने के आरोप पर सेबी ने कहा कि इस मामले में 13 विदेशी संस्थाएं शामिल हैं जिनमें 12 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) और एक विदेशी कंपनी है। इन 13 विदेशी इकाइयों को अडाणी समूह की कंपनियों के सार्वजनिक शेयरधारकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। लेकिन अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में इनमें से कुछ इकाइयों को अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी द्वारा संचालित या उनकी सहयोगी बताया गया था।

‘टैक्स हेवन’ देशों से जानकारी जुटाना चुनौती 

सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई संस्थाओं के ‘टैक्स हेवन’ देशों में स्थित होने से 12 एफपीआई के शेयरधारकों के आर्थिक हित को स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है।” ‘टैक्स हेवन’ के रूप में वे देश शामिल हैं जिसे कर चोरी करने वालों के लिये पनाहगाह माना जाता है। इन देशों में पंजीकृत कंपनियों पर बहुत कम दर से अथवा कोई कर नहीं लगाया जाता है। इस वजह से कई कंपनियां कर से बचने के लिए इन देशों में अपना पंजीकरण कराती रही हैं। बाजार नियामक ने कहा कि इन विदेशी निवेश कंपनियों के असली मालिकों के बारे में पांच देशों से सूचनाएं जुटाने की कोशिशें जारी हैं। ऐसा न होने तक यह जांच रिपोर्ट अंतरिम है। सेबी ने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले और उसके बाद में अडाणी समूह के शेयरों में कारोबार से संबंधित एक अंतरिम रिपोर्ट को सक्षम प्राधिकारी ने मंजूरी दे दी है। यह रिपोर्ट 24 अगस्त को स्वीकृत की गई है। सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पहले और बाद में अडाणी समूह के शेयरों में हुए कारोबार के संदर्भ में जानकारी जुटाने के लिए विदेशी एजेंसियों एवं इकाइयों से भी संपर्क साधा गया। सेबी ने कहा कि अब भी कुछ सूचनाएं मिलने का इंतजार है। 

हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई थी 

हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और बहीखाते में धोखाधड़ी के अलावा विदेशी फर्मों के जरिए हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों के बाद समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में दो महीनों के भीतर 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी। हालांकि अडाणी समूह ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा था कि यह रिपोर्ट उसे निशाना बनाने की नीयत से जारी की गई और वह सभी नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है। उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी को इन आरोपों पर गौर करने और अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने को कहा था। सेबी को अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त की समय सीमा तय की गई थी। नियामक ने जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय से 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। अब सेबी ने अपनी जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश कर दी है। इन आरोपों के नियामकीय पहलुओं पर विचार करने के लिए मार्च में एक अलग छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति भी बनायी गयी थी। उस समिति ने मई में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नियामक अब तक अपनी जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है l 

Edited By : Sachin Lahudkar

हिंडनबर्ग रिपोर्ट से मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया।

Aajtakkhabar: नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट निवेशकों की सुरक्षा के लिए नियामक तंत्र से संबंधित समिति के गठन पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।हिंडनबर्ग रिपोर्ट से उत्पन्न मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया। सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे इस समिति के अध्यक्ष होंगे।सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि समिति स्थिति का समग्र आकलन करेगी और निवेशकों को जागरूक करने के उपाय सुझाएगी।

एक्सपर्ट कमेटी में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएम सप्रे के साथ ही ओपी भट्ट, केवी कामथ, नंदन नीलेकणि, जस्टिस देवधर और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं।

सेबी और जांच एजेंसियां ​​विशेषज्ञ पैनल का समर्थन करेंगी। सर्वोच्च न्यायालय ने हालिया शेयर दुर्घटना की जांच के लिए समिति गठित करने का आदेश दिया है।कमेटी शेयर बाजार में आई गिरावट के कारणों की जांच करेगी और भविष्य के लिए सुझाव देगी।गौतम अदाणी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए एक ट्वीट शेयर किया है। उन्होंने ट्वीट में कहा, “अदाणी समूह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है। यह समयबद्ध तरीके से अंतिम रूप लाएगा और सत्य की जीत होगी।”

अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में केन्द्र द्वारा सीलबंद कवर सुझाव को मानने से इनकार कर दिया था।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ के सुनावई के दौरान कहा था कि वह सीलबंद कवर के सुझाव को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि वे पूरी पारदर्शिता चाहते हैं।दरअसल, पिछले महीने अदाणी समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई थी।

24 जनवरी की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में समूह द्वारा स्टॉक में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। हालांकि, अदाणी समूह ने 29 जनवरी को 413 पन्नों की एक लंबी रिपोर्ट में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट किसी विशिष्ट कंपनी पर हमला नहीं, बल्कि भारत की विकास गाथा पर हमला बताया था।

Edited By: Sachin Lahudkar

अडानी ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद से ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है।

Aajtakkhabar:ग्रुप का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से अधिक गिर चुका है। अब ग्रुप की कंपनियों के बारे में एक और खबर आ रही है। अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों ने बैंकों के पास अपने शेयर गिरवी रखे हैं। इन

बैंकों ने अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) को कर्ज दे रखा है।

इन कंपनियों ने अपने शेयर एसबीआईकैप ट्रस्टी कंपनी (SBICAP Trustee Co) के पास गिरवी रखे हैं। एसबीआईकैप ट्रस्टी कंपनी देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक यूनिट है। उसने बीएसई (BSE) को एक जानकारी में बताया कि अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (APSEZ), अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड (Adani Transmission Ltd) और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (Adani Green Energy Ltd) ने उसके पास अपने शेयर गिरवी रखे हैं।Hindenburg Research ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप के बारे में एक निगेटिव रिपोर्ट जारी की थी।

इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप ने शेयरों के साथ छेड़छाड़ की है।

हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है। लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है। इस बीच MSCI ने भी अडानी ग्रुप की चार कंपनियों का फ्री फ्लोट स्टेटस कम कर दिया है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) अडानी ग्रुप और कुछ इनवेस्टर्स के साथ उसके लिंक्स की जांच कर रहा है। इन निवेशकों ने हाल में ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के एफपीओ में पैसा लगाया था। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस एफपीओ को वापस ले लिया था और निवेशकों के पैसे लौटा दिए थे।

एसबीआई ने अडानी ग्रुप के ऑस्ट्रेलिया में स्थित कार्मीकेल प्रोजेक्ट को 30 करोड़ डॉलर की स्टैंडबाई एलसी फैसिलिटी दी थी।

इसके तहत ग्रुप की तीन कंपनियों के कुछ अतिरिक्त शेयर गिरवी रखे गए हैं। 140% के जरूरी कोलेट्रल कवरेज की हर महीने के अंत में समीक्षा की जाती है और किसी भी कमी को टॉप अप के रूप में पूरा किया जाता है। पिछले साल जून और जुलाई में टॉप अप किया गया था और ऐसा तीसरा टॉप अप आठ फरवरी को किया गया।प्रवक्ता ने कहा कि सिक्योरिटी ट्रस्टी होने के नाते एसबीआई कैप ट्रस्टी कंपनी को इसकी जानकारी सेबी को देनी पड़ती है।

जब भी गिरवी रखे गए शेयरों की संख्या में बदलाव होता है तो इसकी जानकारी मार्केट रेगुलेटर को देनी पड़ती है।

इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट में अडानी ग्रीन के गिरवी शेयरों की संख्या 1.06 परसेंट, अडानी पोर्ट्स की 1.00 परसेंट और अडानी ट्रांसमिशन की 0.55 फीसदी पहुंच गई है। यह केवल अतिरिक्त कोलेट्रल सिक्योरिटी है और इसके लिए एसबीआई ने कोई फाइनेंस नहीं दिया है।

Edited By: Sachin Lahudkar