Aajtakkhabar: पर्यावरण सम्मेलन (COP 27) छह से 18 नवंबर के बीच मिस्त्र के शर्म अल-शेख में होगा।सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव करेंगे। सम्मेलन में 198 देशों और प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित 100 से ज्यादा देशों के प्रमुखों के हिस्सा लेने के आसार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
पेरिस समझौते के तहत लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की भी समीक्षा होगी।
पेरिस समझौते के तहत लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की भी समीक्षा होगी। भारत इस सम्मेलन में विकासशील देशों की मदद बढ़ाए जाने की मांग करेगा। बताएगा कि विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में गैसों और कार्बन का कम उत्सर्जन होता है, इसलिए जरूरतमंद देशों को ज्यादा मदद दी जानी चाहिए।
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि भारत पर्यावरण सुधार के लिए आर्थिक मदद दिए जाने की व्यवस्था में पारदर्शिता और स्पष्टता की अपेक्षा भी करेगा।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि भारत पर्यावरण सुधार के लिए आर्थिक मदद दिए जाने की व्यवस्था में पारदर्शिता और स्पष्टता की अपेक्षा भी करेगा। पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा है कि भारत मांग करेगा कि पर्यावरण सुधार के लिए दी जाने वाली धनराशि को अनुदान या ऋण या छूट के साथ वापस की जाने वाली धनराशि में से क्या माना जा रहा है। कोपेनहेगन में 2015 में हुए सीओपी 15 में 100 अरब डालर की निधि बनाने पर निर्णय हुआ था। 2020 से यह धनराशि प्रतिवर्ष विकासशील देशों को दी जानी थी लेकिन विकसित देश ऐसा करने में विफल रहे। भारत अन्य विकासशील देशों के समर्थन से इस मदद को दिए जाने की लगातार आवाज उठा रहा है।
सबका कारण पृथ्वी और समुद्र के बढ़ रहे तापमान को माना जा रहा है। यह तापमान हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से बढ़ रहा है
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, पेरिस समझौते के तहत लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की भी समीक्षा होगी। यह सम्मेलन तब हो रहा है जब बीते महीनों में बांग्लादेश समुद्री तूफानों से त्रस्त हो चुका है, पाकिस्तान वर्षा के बाद आई भयंकर बाढ़ से बदहाल हुआ है, यूरोप गर्मी से बेचैन रहा है, अमेरिका में अप्रत्याशित रूप से तापमान बढ़ा और जंगल में आग लगी, चीन में कुछ नदियां सूख गईं और कुछ में भयंकर बाढ़ आई तथा अफ्रीका सूखे का सामना कर रहा है। इस सबका कारण पृथ्वी और समुद्र के बढ़ रहे तापमान को माना जा रहा है। यह तापमान हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से बढ़ रहा हैl
2030 तक तापमान को कम करने के उपायों को गंभीरता से क्रियान्वित नहीं किया गया तो फिर वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने से नहीं रोका जा सकेगा।
मौसम में बदलाव को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने तीन प्राथमिकताएं निश्चित की हैं। सम्मेलन में इन पर चर्चा होगी। आइएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जियोर्जिएवा ने ब्लाग में लिखा है कि अगर विश्व समुदाय हानिकारक गैसों का उत्सर्जन रोकने में विफल रहा तो आपदाओं की संख्या और उनसे होने वाला विनाश बढ़ता जाएगा। इससे विश्व के कई हिस्से पलायन की समस्या से जूझेंगे और संपन्न देशों में शरणार्थियों की समस्या बढ़ेगी। अगर 2030 तक तापमान को कम करने के उपायों को गंभीरता से क्रियान्वित नहीं किया गया तो फिर वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने से नहीं रोका जा सकेगा। इससे प्राकृतिक आपदाओं में और बढ़ोतरी होगी।
वैश्विक तापमान को कम करने के उपायों को अमल में लाना होगा l
एएनआई के मुताबिर जियोर्जिएवा ने कहा है कि पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व को बचाए रखना है तो हमें 2050 तक हानिकारक गैसों का उत्सर्जन पूरी तरह से रोकना होगा, वैश्विक तापमान को कम करने के उपायों को अमल में लाना होगा और गरीब देशों की मदद के लिए अलग से धन की व्यवस्था करनी होगी जिससे वे प्रदूषणकारी कार्यों से दूर रह सकें।
2050 तक इन गैसों का उत्सर्जन शून्य करने के लक्ष्य पर कार्य कर रहे हैं।
विश्व के 140 देशों ने पर्यावरण सुधार के कदम उठाते हुए हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में 91 प्रतिशत तक की कमी की है। ये देश 2050 तक इन गैसों का उत्सर्जन शून्य करने के लक्ष्य पर कार्य कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार स्थिति में सुधार के लिए विकासशील देशों की मदद के लिए 100 अरब डालर की निधि में संपन्न देश नियमित रूप से योगदान दें। यह धनराशि विकासशील देशों को दी जाएगी जो जनसुविधाओं के विकास के लिए परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं। इन परियोजनाओं से बड़ी मात्रा में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। आर्थिक मदद और उन्नत तकनीक दिए जाने से ये देश गैस उत्सर्जन की मात्रा नियंत्रित कर पाएंगेl
Edited By:Sachin Lahudkar