Aajtakkhabar:पिछले 27 सालों से गुजरात में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार है। गुजरात में भाजपा की नजरें रिकार्ड सातवें कार्यकाल पर टिकी हुई हैं। वहीं, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की एंट्री ने गुजरात चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है।
गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, पहले चरण में दक्षिण गुजरात और कच्छ-सौराष्ट्र क्षेत्र के 19 जिलों में 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन उम्मीदवारों में 70 महिलाएं और 339 निर्दलीय हैं। 89 सीटों में से 14 अनुसूचित जनजाति और सात दलितों के लिए आरक्षित हैं। मतदान सुबह आठ बजे होगा और शाम साढ़े पांच बजे तक चलेगा। पहले चरण के तहत विधानसभा क्षेत्रों में कुल 2,39,76,670 मतदाता रजिस्टर्ड हैं। इसमें 1,24,33,362 पुरुष, 1,15,42,811 महिला और 497 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं।
PM Modi ने की रिकॉर्ड वोटिंग की अपील
पीएम मोदी ने गुजरात में पहले चरण का मतदान शुरू होने से पहले ट्वीट किया है। पीएम ने लिखा, आज गुजरात में पहले चरण का मतदान है। मैं आज मतदान करने वाले सभी लोगों, विशेष रूप से पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से रिकॉर्ड संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अपील करता हूं।
पहले चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
गुजरात में पहले चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। गुजरात के DGP आशीष भाटिया ने बताया कि इसके लिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं, अर्धसैनिक बल भी तैनात हैं। लोग बिना किसी डर के मतदान कर सकें इसके लिए सभी इंतजाम किए गए हैं।
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सूची में 61 उम्मीदवारों के साथ आम आदमी पार्टी सबसे ऊपर है.
2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या 238 थी.
राज्य में विधानसभा चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं. दोनों चरणों के उम्मीदवारों के सर्वेक्षण के बाद एडीआर द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के 60 और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 32 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एडीआर ने गुजरात में एक और पांच दिसंबर को होने वाले दो चरणों के चुनाव के लिए सभी 1,621 उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा कि हत्या, बलात्कार और हत्या के प्रयास से संबंधित गंभीर अपराधों के लिए कुल 192 उम्मीदवारों पर मामले दर्ज हैं, जिसमें कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के 96 उम्मीदवार शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, गंभीर अपराधों वाले उम्मीदवारों के मामले में ‘आप’ 43 उम्मीदवारों के साथ सूची में सबसे ऊपर है जबकि कांग्रेस के 28 और भाजपा के 25 ऐसे उम्मीदवार मैदान में हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एडीआर विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों वाले 330 उम्मीदवारों में पहले चरण की 89 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 788 उम्मीदवारों में से 167 और दूसरे चरण की 93 सीटों पर कुल 822 उम्मीदवारों में से 163 शामिल हैं.
राज्य के कुल 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव में आप, कांग्रेस और भाजपा के क्रमशः 181, 179 और 182 उम्मीदवार हैं.
एडीआर ने कहा कि यह ‘गंभीर अपराधों’ को गैर-जमानती अपराधों के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें अधिकतम पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है. इनमें मारपीट, हत्या, अपहरण और बलात्कार के साथ-साथ महिलाओं के खिलाफ अपराध और भ्रष्टाचार के मामले शामिल हैं.
महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में 18 उम्मीदवारों का नाम है, जबकि एक उम्मीदवार पर बलात्कार का आरोप है. पांच के खिलाफ हत्या का आरोप है और 20 पर हत्या के प्रयास का आरोप है.
अहमदाबाद जिले की दसक्रोई सीट से आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं किरण पटेल के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज है. पाटन सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार किरीट पटेल पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है, जबकि पंचमहल जिले की शेहरा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के जेठा भारवाड़ पर बलात्कार, अपहरण, जबरन वसूली, महिला का शील भंग करने और अन्य आरोप हैं.
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उम्मीदवारों के चयन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का राजनीतिक दलों पर कोई असर नहीं पड़ा है.
ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने 13 फरवरी, 2020 को विशेष रूप से राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे इस तरह के चयन के कारण बताएं और बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवारों के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है. इन अनिवार्य दिशानिर्देशों के अनुसार, इस तरह के चयन का कारण संबंधित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता के संदर्भ में होना चाहिए.
एडीआर ने कहा, ‘2022 में छह राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान यह देखा गया कि राजनीतिक दलों ने व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य, मामले राजनीति से प्रेरित होने आदि जैसे निराधार कारण दिए.’
एडीआर ने कहा, ‘दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के ये ठोस कारण नहीं हैं. यह डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि राजनीतिक दलों को चुनावी प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमारा लोकतंत्र कानून तोड़ने वालों के हाथों पीड़ित रहेगा, जो कानून निर्माता बन जाते हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
Edited by: Sachin Lahudkar