ठाकरे गटाच्या मशाली’ला शिंदे गट ‘ढाल-तलवारी’ने देणार उत्तर- निवडणूक आयोग
By Aajtakkhabar Admin 12 October 2022
Aajtakkhabar:अंधेरी पोटनिवडणुकीच्या पार्श्वभूमीवर निवडणूक आयोगाकडून शिंदे गटाला ‘ढाल-तलवार’ चिन्ह देण्यात आलं आहे. काल(सोमवार) निवडणूक आयोगाने ठाकरे गटाला ‘मशाल’ हे चिन्ह दिलं होतं. तर शिंदे गटाने दिलेली तिन्ही चिन्ह रद्द करत आज(मंगळवार) नवीन चिन्ह पाठवण्यास सांगितले होते.
यानंतर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांच्या गटाने निवडणूक चिन्हांसंदर्भात दोन स्वतंत्र ई-मेल निवडणूक आयोगाला पाठवले होते. दोन्ही ई-मेलमध्ये प्रत्येक तीन नवीन चिन्हांचा पर्याय सूचवल्याची माहिती समोर आली होती. यामध्ये ढाल-तलवार, तळपता सूर्य आणि पिंपळाचं झाड, रिक्षा, शंख आणि तुतारी असे पर्याय देण्यात आले होते.
संबंधित चिन्हांचा अर्थ सांगताना भरत गोगावले म्हणाले होते की, जनतेचं रक्षण करण्यासाठी ढाल आहे, तर शत्रू अंगावर आला तर त्यांच्यासाठी तलवार आहे. ‘सूर्य’ उगवल्याशिवाय आपला दिवस चांगला जाऊ शकत नाही, त्यासाठी ‘तळपता सूर्य’ हे चिन्ह सादर केलं आहे. तर ‘पिंपळ’ हे पवित्र झाड आहे. त्यामुळे आम्हाला काळजी करायचं काहीही कारण नाही. आम्हाला जे चिन्ह मिळेल ते घ्यायला आम्ही तयार आहोत.
Election Commission of India allots the ‘Two Swords & Shield symbol’ to Eknath Shinde faction of Shiv Sena; they were allotted the name ‘Balasahebanchi ShivSena’ yesterday.
Edited By:Sachin Lahudkar
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देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar