पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान में आगे क्या होने वाला है?
By Aajtakkhabar Admin 4 November 2022
Aajtakkhabar:इस्लामाबाद, एजेंसी। इमरान खान की रैली में गुरुवार को गोलीबारी हो गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) के सांसद फैसल जावेद समेत 13 अन्य घायल हो गए। इस हमले के विरोध में इमरान खान के समर्थकों ने देशभर में प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
इसके बाद से ही पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ जमकर हमलावर हो गए हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद से ही पाकिस्तान में हालात बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
इमरान खान की रैली में फायरिंग करने वाले शख्स का पहला बयान सामने आया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने कहा कि मैं अकेला ही हमला करने आया था। इमरान खान को जान से मारना चाहता था, क्योंकि उसकी रैलियों में अजान के दौरान भी डीजे बजता रहता था। अफसोस की वह बच गया। कुछ रिपोर्ट्स में हमलावर का नाम फैसल और कुछ में जावेद इकबाल बताया जा रहा है। हमलावर एक वीडियो वायरल हो रहा है, इस वीडियो में हमलावर इमरान खान की हत्या की बात कर रहा है। उसका कहना था कि इमरान देश को गुमराह कर रहे हैं, इसीलिए वो उनकी हत्या करना चाहता था।
मरान खान के दोनों पैरों में तीन गोलियां लगी हैं, जिन्हें सर्जरी कर निकाल दिया गया है। बुलेट के कुछ टुकड़े अब भी मौजूद हैं। पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की हालत स्थित है और वह खतरे से बाहर हैं। हमले के बाद इस्लामिक सहयोग संगठन(OIC) ने कहा है कि वह सुरक्षा और स्थिरता के लिए किसी भी खतरे के खिलाफ इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान के साथ खड़ा है और इसे और देश में राजनीतिक स्थिरता और समृद्धि की कामना करता है।
Edited By:Sachin Lahudkar
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देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar