एएनआई:- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार तुलसी गबार्ड ने मंगलवार को डेमोक्रेटिक पार्टी से छोड़ने की घोषणा की है।
By Aajtakkhabar Admin 12 October 2022
Author: AgencyPublish Date: Wed, 12 Oct 2022 07:42 AM (IST)
Aajtakkhabar:देश में लोगों की बुनियादी स्वतंत्रता को कमतर करने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की आलोचना करते हुए, गबार्ड ने कहा कि वह एक ऐसी सरकार में विश्वास करती हैं जो लोगों के लिए है, हालांकि, आज की डेमोक्रेटिक पार्टी इन मूल्यों के साथ खड़ी नहीं है। तुलसी गबार्ड अमेरिकी कांग्रेस में राष्ट्रपति पद के लिए खड़ी होने वाली पहली हिंदू सांसद थीं। गबार्ड ने साल 2004 से 2005 तक इराक में युद्ध के दौरान हवाई आर्मी नेशनल गार्ड की फील्ड मेडिकल यूनिट में भी काम किया और साल 2008 से 2009 तक कुवैत में तैनात रहीं।उन्होंने पार्टी पर देश में हर मुद्दे को नस्लीय बनाने का आरोप लगाया है। गबार्ड ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए गए लगभग 30 मिनट के एक वीडियो में यह घोषणा की है।गैबार्ड ने आगे अपने साथी डेमोक्रेट्स को भी उनका साथ देने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि उनके साथियों को भी पार्टी छोड़ देनी चाहिए। हालांकि, उन्होंने अभी तक अपने नए राजनीतिक योजनाओं या रिपब्लिकन पार्टी में शामिल होने के बारे में किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी है। तुलसी गबार्ड का जन्म हवाई में हुआ, जहां 21 साल की उम्र उन्होंने हवाई स्टेटहाउस के लिए चुनाव लड़ा। इससे पहले, उनका राजनीति से किसी भी तरह का संबद्ध नहीं थीं। वो पिछले 20 वर्षों से डेमोक्रेट पार्टी के साथ जुड़ी हुई थी।तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी को नस्लवाद का दोषी ठहराते हुए कहा है कि वो अब इस पार्टी की सदस्य नहीं रह सकती हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में उन्होंने कहा है कि, मैं डेमोक्रेटिक पार्टी में नहीं रह सकती, यह पार्टी अब कायरता से प्रेरित है। ये हर मुद्दे को नस्लीय बनाकर हमें बांटते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लवाद को भड़काते हैं।
Edited By:Sachin lahudkar
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भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध का फ़ायदा उठाने का आरोप लगाया है.यूक्रेन ने कहा, ‘भारत हमारी ज़िंदगियों की कीमत पर ले रहा है रूसी तेल’: प्रेस रिव्यू BBC
Aajtakkhabar: bbc News ,अंग्रेजी अख़बार द टेलीग्राफ़ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, कुलेबा ने भारत की ओर से इसे ‘यूक्रेन युद्ध’ कहने पर भी सवाल उठाया है.
उन्होंने कहा कि जब भारत को ‘हमारे दुख-दर्द’ से लाभ हो रहा है तो वो कम से कम इतना तो कर ही सकता है कि वो हमें देने वाली मदद को बढ़ा दे.
भारत सरकार इस साल 24 फ़रवरी को रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन में मानवीय सहायता उपलब्ध करा रही है.
कुलेबा ने भारत को लेकर ये बात भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आने के बाद कही है.
जयशंकर ने एक बार फिर कहा है कि भारत अभी भी यूरोपीय संघ की तुलना में काफ़ी कम मात्रा में रूसी तेल ख़रीद रहा है.
कुलेबा ने कहा, “सिर्फ़ यूरोपीय संघ पर उंगली उठाते हुए ये कहना पर्याप्त नहीं है कि ‘देखिए, वो भी तो यही कर रहे हैं’ क्योंकि भारत को सस्ते दामों पर रूसी तेल ख़रीदकर पैसे बचाने का जो अवसर मिला है, वो इसलिए नहीं है कि यूरोपीय संघ भी रूस से तेल ख़रीद रहा है. ये इस वजह से है क्योंकि यूक्रेनी लोग रूसी युद्ध की वजह से परेशान हो रहे हैं और मर रहे हैं.”
भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से सस्ती दरों पर उपलब्ध रूसी तेल का आयात बढ़ा दिया है.
हालांकि, यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर भारत का रुख़ चिंता से भरा रहा है.
द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में कहा है कि भारत लगातार संवाद शुरू करने की दिशा में बढ़ने की बात कर रहा है.
उन्होंने कहा, “भारत ये कहता आया है कि हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए. भारत ने दोनों पक्षों से कूटनीति और संवाद की ओर बढ़ने की अपील की है. और लगातार कहा है कि वह संघर्ष ख़त्म करने के लिए सभी तरह के कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करता है.”