मोदी सरकार 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने का प्रस्ताव ला सकती है।
Aajtakkhabr: सदियों से इस देश को कई नामों से बुलाया जा रहा है। लेकिन इनमें से सबसे प्रचलित भारत है।
अंग्रेजों के आने से पहले भारत को हिन्दुस्तान, जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष,आर्यावर्त, हिन्द और हिन्दुस्तान कहा जाता था। लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद भारत को इंडिया कहा जाने लगा।
जब अंग्रेजों को पता चला कि भारत सभ्यता सिंधु घाटी है। वहीं सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस भी है। सिंधु घाटी को इंडस वैली भी कहा जाता है, जिसे लैटिन भाषा में इंडिया कहा जाता है। इसलिए अंग्रेजों ने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया।
ब्रिटिश शासनकाल में भारत को इंडिया बड़े पैमाने पर कहा जाने लगा। धीरे-धीरे उन्होंने अधिकारिक कागजों पर भी इंडिया लिखना शुरू कर दिया। जिसके बाद इंडिया नाम काफी प्रसिद्ध हुआ और हमारे देश को दुनिया में लोग इंडिया के नाम से जानने लगे। असल में सिंधु नदी का इंडस नाम भारत आए विदेशियों ने रखा था। सिंधु सभ्यता की वजह से भारत का पुराना नाम सिंधु भी था। जिसे यूनानी में इंडो या इंडस भी कहा जाता है। लैटिन भाषा में यही शब्द बदलकर इंडिया हो गया। अंग्रेजों को हिन्दुस्तान बोलने में परेशानी होती थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि जी 20 के निमंत्रण पत्र पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है। कांग्रेस ने भी ट्वीट कर कहा है कि G-20 सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति द्वारा मेहमानों को भेजे गए आमंत्रण पत्र में रिपब्लिक ऑफ ‘इंडिया’ की जगह रिपब्लिक ऑफ ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
हालांकि ये कोई नई बात नहीं है कई देश अपना नाम बदल चुके हैं। लेकिन इस चर्चा के बीच देश का नाम भारत कब पड़ा और कैसे पड़ा, ये जानने की उत्सुकता लोगों में बढ़ गई हैं। तो आइए जानें देश का ‘भारत’ नाम कब और क्यों रखा गया था और क्या है इसके पीछे का इतिहास। भारतभूमि को कई नामों से जाना जाता है, लेकिन ‘भारत’ सबसे प्रचलित भारतभूमि को प्राचीनकाल से कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया। लेकिन इनमें ‘भारत’ नाम सबसे ज्यादा प्रचलित रहा है।
इसी वजह से भारत नाम, कब, क्यों और कैसे पड़ा, इसको लेकर सबसे ज्यादा धारणाएं और मतभेद है। जितनी वैविध्यपूर्ण भारत की संस्कृति है, उतनी ही ज्यादा इसको अलग-अलग कालखण्डों में अलग-अलग नाम दिए गए हैं। भारत नाम के पीछे ‘भरत’ पौराणिक कहानी पौराणिक युग में भरत नाम के कई व्यक्ति हुए हैं। अलग-अलग वक्त इन महान व्यक्तिों के नाम पर भारत का नाम रखने का दावा किया जाता है। सबसे प्रचलित पौराणिक कहानी की मानें तो, भारतवर्ष नाम ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है। अनेक पुराणों के मुताबिक नाभिराज के पुत्र भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर इस देश का नाम ‘भारतवर्ष’ पड़ा है। हिंदू ग्रंथ, स्कन्द पुराण (अध्याय 37) के मुताबिक, नाभिराज के पुत्र थे, ऋषभदेव। और ऋषभ के पुत्र भरत थे और इनके ही नाम पर इस देश का नाम “भारतवर्ष” पड़ा है।
दुष्यन्त-शकुन्तला के पुत्र भरत की भी कहानी प्रचलित ज्यादातौर लोग भारत नाम के पीछे की वजह शकुन्तला और पुरुवंशी राजा दुष्यन्त के पुत्र भरत को मानते हैं। महाभारत के आदिपर्व में इस बात का जिक्र है। . महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की बेटी शकुन्तला और राजा दुष्यन्त के बीच गान्धर्व विवाह हुआ था। इन दोनों के पुत्र का नाम भरत हुआ था। बताया जाता है कि भरत के जन्म के बाद ऋषि कण्व ने आशीर्वाद दिया था कि भरत आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम पर इस भूखण्ड का नाम भारत प्रसिद्ध होगा।
भारत नाम के पीछे की अन्य प्रचलित कहानियां इसी तरह मत्स्यपुराण में जिक्र है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले वर और उसका भरण-पोषण करने के कारण ‘भरत’ कहा जाता था। इसलिए भूमि के खण्ड पर का शासन-वास था उसे भारतवर्ष कहा गया है। इसके अलावा नाट्यशास्त्र वाले भरतमुनि भी इस नाम के पीछे की वजह हो सकते हैं।
वहीं एक राजर्षी भरत का भी उल्लेख है, जिनके नाम पर जड़भरत मुहावरा ही प्रसिद्ध है। वहीं दशरथपुत्र भरत भी प्रसिद्ध हैं, जिन्होंने अपने बड़े भाई राम के वनवास के बाद गद्दी पर खड़ाऊं रखकर प्रजा की देखभाल की। वहीं मगधराज इन्द्रद्युम्न के दरबार में भी एक भरत ऋषि थे। एक योगी भी भरत हुए हैं। इतना ही नहीं भारत के नामकरण के सूत्र जैन धर्म में भी मिलते हैं। इतना ही नहींमहायुद्ध महाभारत में भी ‘भारत’ शब्द का जिक्र है। इसलिए भारत, को भारत कब से कहा जा रहा है, इसका सटीक इतिहास नहीं है। भरत या भारत शब्द का क्या अर्थ है..? कुछ इतिहासकारों का मानना है कि भारत नाम के पीछे सप्तसैन्धव क्षेत्र में पनपी अग्निहोत्र संस्कृति की पहचान है। वैदिकी में भरत / भरथ का अर्थ, लोकपाल या विश्वरक्षक, जिसे आम तौर पर शासक या राजा कहा जाता है।
वहीं बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भाषाविद डॉ. रामविलास शर्मा का कहना है कि, भरत में ‘भर’ शब्द का अर्थ युद्ध और भरण-पोषण होता है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि ये अर्थ एक दूसरे से अलग भी हो सकते हैं।
Edited by: sachin lahudkar