अडाणी मामले में 22 आरोपों की जांच पूरी की, पांच देशों से ये जानकारी आने का अभी इंतजार l
Aajtakkhbhar:
Supreme Court:-2023 की शुरुआत में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म Hindenburg की ओर से अडानी ग्रुप को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की गई थी, जिसमें समूह पर 88 गंभीर सवाल उठाए गए थे lसुप्रीम कोर्ट की ओर से मार्केट रेग्युलेटर को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच रिपोर्ट 14 अगस्त 2023 तक सब्मिट करने के लिए कहा गया था, लेकिन
सेबी ने अपनी रिपोर्ट 25 अगस्त को कोर्ट में दाखिल कर दी थी. बता दें कि सेबी की ओर से अडानी समूह के एक्टिविटीज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कुल 24 जांच की जा रही हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो इन 24 जांचों में से 22 का फाइनल रिजल्ट आ चुका है l
जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया गया
हालांकि सेबी ने इन जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया लेकिन उसने संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन के साथ जांच में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा दिया है। बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सेबी इस जांच के नतीजों के आधार पर कानून के अनुरूप उचित कार्रवाई करेगा।” यह रिपोर्ट अडाणी समूह की कंपनियों की शेयरों के भाव में हेराफेरी, संबंधित पक्षों के साथ लेनदेन का खुलासा करने में कथित नाकामी और समूह के कुछ शेयरों में भेदिया कारोबार प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों पर अपनी अंतिम राय रखती है। हालांकि विदेशी फर्जी कंपनियों के जरिये अपनी ही कंपनियों में निवेश करके न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के प्रावधान का उल्लंघन करने के आरोप पर सेबी ने कहा कि इस मामले में 13 विदेशी संस्थाएं शामिल हैं जिनमें 12 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) और एक विदेशी कंपनी है। इन 13 विदेशी इकाइयों को अडाणी समूह की कंपनियों के सार्वजनिक शेयरधारकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। लेकिन अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में इनमें से कुछ इकाइयों को अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी द्वारा संचालित या उनकी सहयोगी बताया गया था।
‘टैक्स हेवन’ देशों से जानकारी जुटाना चुनौती
सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई संस्थाओं के ‘टैक्स हेवन’ देशों में स्थित होने से 12 एफपीआई के शेयरधारकों के आर्थिक हित को स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है।” ‘टैक्स हेवन’ के रूप में वे देश शामिल हैं जिसे कर चोरी करने वालों के लिये पनाहगाह माना जाता है। इन देशों में पंजीकृत कंपनियों पर बहुत कम दर से अथवा कोई कर नहीं लगाया जाता है। इस वजह से कई कंपनियां कर से बचने के लिए इन देशों में अपना पंजीकरण कराती रही हैं। बाजार नियामक ने कहा कि इन विदेशी निवेश कंपनियों के असली मालिकों के बारे में पांच देशों से सूचनाएं जुटाने की कोशिशें जारी हैं। ऐसा न होने तक यह जांच रिपोर्ट अंतरिम है। सेबी ने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले और उसके बाद में अडाणी समूह के शेयरों में कारोबार से संबंधित एक अंतरिम रिपोर्ट को सक्षम प्राधिकारी ने मंजूरी दे दी है। यह रिपोर्ट 24 अगस्त को स्वीकृत की गई है। सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पहले और बाद में अडाणी समूह के शेयरों में हुए कारोबार के संदर्भ में जानकारी जुटाने के लिए विदेशी एजेंसियों एवं इकाइयों से भी संपर्क साधा गया। सेबी ने कहा कि अब भी कुछ सूचनाएं मिलने का इंतजार है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई थी
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और बहीखाते में धोखाधड़ी के अलावा विदेशी फर्मों के जरिए हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों के बाद समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में दो महीनों के भीतर 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी। हालांकि अडाणी समूह ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा था कि यह रिपोर्ट उसे निशाना बनाने की नीयत से जारी की गई और वह सभी नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है। उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी को इन आरोपों पर गौर करने और अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने को कहा था। सेबी को अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त की समय सीमा तय की गई थी। नियामक ने जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय से 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। अब सेबी ने अपनी जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश कर दी है। इन आरोपों के नियामकीय पहलुओं पर विचार करने के लिए मार्च में एक अलग छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति भी बनायी गयी थी। उस समिति ने मई में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नियामक अब तक अपनी जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है l
Edited By : Sachin Lahudkar