भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल l
By Aajtakkhabar Admin 22 October 2022
Aajtakkhabar:लंदन, एएनआई: भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने के लिए न्यूनतम नामांकन की सीमा को पार कर लिया है। उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद के लिए 100 से अधिक नामांकन प्राप्त प्राप्त हुए हैं। देश की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद पद पर दावा करने वालों में ऋषि सुनक पहले हैं, जिन्होंने न्यूनतम नामांकन की सीमा को पार किया है।ऋषि सुनक को बीते दिनों ब्रिटेन में हुए प्रधानमंत्री के चुनावों में लिज ट्रस के आगे हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब उन्हें यूके की पीएम पद की दौड़ में शामिल होने के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के कम से कम 100 सांसदों का समर्थन मिला है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है। ट्रस के इस्तीफे के बाद विपक्ष ने आम चुनाव की अपनी मांग दोहराई थी।वहीं, ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन ने भी पीएम की दौड़ में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा था कि वो एक बार फिर यह जिम्मेदारी संभालने की लिए तैयार हैं। शुक्रवार को, हाउस ऑफ कॉमन्स में नेता पेनी मोर्डंट ने भी पीएम पद पर दावा किया। मोर्डंट ने ट्वीट किया कि, उन्हें उन सहयोगियों का समर्थन मिला है जो एक नई शुरुआत, एकजुट पार्टी और राष्ट्रीय हित में नेतृत्व चाहते हैं।
Edited By:Sachin Lahudkar
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भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध का फ़ायदा उठाने का आरोप लगाया है.यूक्रेन ने कहा, ‘भारत हमारी ज़िंदगियों की कीमत पर ले रहा है रूसी तेल’: प्रेस रिव्यू BBC
Aajtakkhabar: bbc News ,अंग्रेजी अख़बार द टेलीग्राफ़ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, कुलेबा ने भारत की ओर से इसे ‘यूक्रेन युद्ध’ कहने पर भी सवाल उठाया है.
उन्होंने कहा कि जब भारत को ‘हमारे दुख-दर्द’ से लाभ हो रहा है तो वो कम से कम इतना तो कर ही सकता है कि वो हमें देने वाली मदद को बढ़ा दे.
भारत सरकार इस साल 24 फ़रवरी को रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन में मानवीय सहायता उपलब्ध करा रही है.
कुलेबा ने भारत को लेकर ये बात भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आने के बाद कही है.
जयशंकर ने एक बार फिर कहा है कि भारत अभी भी यूरोपीय संघ की तुलना में काफ़ी कम मात्रा में रूसी तेल ख़रीद रहा है.
कुलेबा ने कहा, “सिर्फ़ यूरोपीय संघ पर उंगली उठाते हुए ये कहना पर्याप्त नहीं है कि ‘देखिए, वो भी तो यही कर रहे हैं’ क्योंकि भारत को सस्ते दामों पर रूसी तेल ख़रीदकर पैसे बचाने का जो अवसर मिला है, वो इसलिए नहीं है कि यूरोपीय संघ भी रूस से तेल ख़रीद रहा है. ये इस वजह से है क्योंकि यूक्रेनी लोग रूसी युद्ध की वजह से परेशान हो रहे हैं और मर रहे हैं.”
भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से सस्ती दरों पर उपलब्ध रूसी तेल का आयात बढ़ा दिया है.
हालांकि, यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर भारत का रुख़ चिंता से भरा रहा है.
द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में कहा है कि भारत लगातार संवाद शुरू करने की दिशा में बढ़ने की बात कर रहा है.
उन्होंने कहा, “भारत ये कहता आया है कि हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए. भारत ने दोनों पक्षों से कूटनीति और संवाद की ओर बढ़ने की अपील की है. और लगातार कहा है कि वह संघर्ष ख़त्म करने के लिए सभी तरह के कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करता है.”