रवीश ने एनडीटीवी से इस्तीफ़ा दे दिया है और कंपनी ने उनका इस्तीफ़ा तुरंत प्रभाव से लागू करने की गुज़ारिश को स्वीकार लिया.”
By Aajtakkhabar Admin 1 December 2022
एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने इस्तीफ़ा दे दिया है. एनडीटीवी ग्रुप की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह की तरफ़ से वहां के कर्मचारियों को एक मेल भेजा गया जिसमें लिखा है, “रवीश ने एनडीटीवी से इस्तीफ़ा दे दिया है और कंपनी ने उनका इस्तीफ़ा तुरंत प्रभाव से लागू करने की गुज़ारिश को स्वीकार लिया.
रवीश का इस्तीफ़ा प्रणय रॉय और राधिका रॉय के आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर्स के पद से इस्तीफ़ा देने के एक दिन बाद आया है. ये कंपनी एनडीटीवी की प्रमोटर ग्रुप व्हेकिल है. इससे ठीक एक दिन पहले आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने अपने इक्विटी शेयर की जानकारी दी थी.
जिसमें से 99.5 फ़ीसदी इक्विटी शेयर विश्व प्रधान कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड के पास हैं, ये वो कंपनी है जिसका अधिग्रहण अडानी ग्रुप की मीडिया कंपनी एएमजीमीडिया नेटवर्क्स ने किया है. इसके साथ ही अडानी ग्रुप के पास अब एनडीटीवी की 29.18 फ़ीसदी हिस्सेदारी है.
रवीश कुमार; (जन्म ५ दिसम्बर १९७४) एक पत्रकार हैं। रवीश एनडीटीवी समाचार नेटवर्क के हिंदी समाचार चैनल ‘एनडीटीवी इंडिया’ में संपादक है, और चैनल के प्रमुख कार्यक्रमों जैसे हम लोग और रवीश की रिपोर्ट के होस्ट रहे हैं। रवीश कुमार का प्राइम टाइम शो के साथ देस की बात भी वर्तमान में काफी लोकप्रिय है
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | रविश कुमार पांडेय |
व्यवसाय | भारतीय टीवी ऐंकर |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 5 दिसंबर 1974 |
आयु (2016 के अनुसार) | 42 वर्ष |
जन्मस्थान | मोतीहारी, बिहार, भारत |
राशि | धनु |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | मोतीहारी, बिहार, भारत |
स्कूल/विद्यालय | लॉयला हाई स्कूल, पटना, भारत |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | देशबंधु कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली, भारत |
शैक्षिक योग्यता | पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा |
परिवार | पिता – नाम ज्ञात नहीं माता– नाम ज्ञात नहीं भाई– बृजेश कुमार पांडेय बहन– ज्ञात नहीं |
धर्म | हिन्दू |
जाति | ब्राह्मण |
शौक | यात्रा करना, पढ़ना, फिल्में देखना |
मनपसंद चीजें | |
पसंदीदा अभिनेता | अमिताभ बच्चन |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | नैना दास गुप्ता, (इतिहास की शिक्षिका) Lady Sri Ram College |
बच्चे | पुत्र– ज्ञात नहीं पुत्री– एक |
धन संबंधित विवरण | |
आय |
रविश कुमार से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
जिस स्थान पर रविश कुमार का जन्म हुआ (मोतीहारी, बिहार), वह एक ऐतिहासिक शहर है और “पूर्वी चंपारण” नाम से बहुत प्रसिद्ध है।
उनके भाई बृजेश कुमार पांडेय भारतीय कांग्रेस पार्टी के सद्स्य हैं।
उनका विवाह नैना दास गुप्ता से हुआ जो लेडी श्री राम कॉलेज में (इतिहास की शिक्षिका) के रूप में कार्यरत हैं।
भारत के सुप्रसिद्ध न्यूज़ चैनल एनडीटीवी पर “हम लोग “, “रविश की रिपोर्ट”, “प्राइम टाइम” जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के आयोजन से वह बहुत लोकप्रिय हुए।
उन्होंने सूक्ष्म-कथा व कहानियां (Laprek) लिखने की एक अनूठी शैली विकसित की है।
रचनात्मक साहित्य और हिंदी पत्रकारिता में अति महत्वपूर्ण योगदान के लिए रविश कुमार को (Ganesh Sankar Vidyarthi Award 2010) से सम्मानित किया गया।
2013 में, उन्हें सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए (Ramnath Goenka Excellence) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वर्ष 2014 में, रविश ने हिंदी में सर्वश्रेष्ठ समाचार एंकर के लिए Indian News Television Award जीता।
वर्ष 2016 में, द इंडियन एक्सप्रेस ने उन्हें 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की भारतीय सूची में शामिल किया था
Edited by: Sachin Lahudkar
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देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
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साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar