23 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान महामुकाबला T20 वर्ल्ड कप में खेला जा रहा है. अब इससे बेहतर सौगात क्रिकेट फैंस के लिए इस दिवाली क्या होगी
By Aajtakkhabar Admin 23 October 2022
Aajtakkhabar:कि उनकी टीम पाकिस्तान को इस मुकाबले में हरा दे. अगर ऐसा हुआ तो फिर ये दिवाली होगी भारतीय क्रिकेट के पाकिस्तान फतेह करने वाली. मतलब, खुशियों से जगमग दीप जलाने की वजह भी होगी डबल.23 अक्टूबर की तारीख का इंतजार क्रिकेट फैंस को महीनों से था. इसे लेकर दिवानगी देखते बन रही थी. वजह थी भारत और पाकिस्तान के बीच T20 वर्ल्ड कप 2022 में होने वाली क्रिकेट जंग. आज वो घड़ी आ चुकी है. अब से थोड़ी देर बाद यानी भारतीय समयानुसार ठीक दोपहर डेढ़ बजे से मेलबर्न के मैदान पर ये मुकाबला शुरू होगा. अब इस मुकाबले में जोर किसका दिखेगा इसके लिए तो इंतजार करना पड़ेगा लेकिन इतना तय है कि बारिश विलेन नहीं बनी और मुकाबला होता है तो फिर रोमांच अपनी हद पार करता दिखेगा.यह टूर्नामेंट भले ही आस्ट्रेलिया में हो रहा हो लेकिन क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) को पता है कि बल्ले और गेंद के खेल में भारत और पाकिस्तान की भिडंत से बड़ा कुछ नहीं है। यही कारण है कि मेजबान आस्ट्रेलिया का पहला मैच सिडनी में रखा गया, जबकि भारत-पाकिस्तान का मैच आस्ट्रेलिया के सबसे बड़े और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा।भारत को पिछले साल दुबई में विश्व कप में पहली बार पाकिस्तान से हार झेलनी पड़ी। रोहित शर्मा की टीम दोबारा ये दुख भारतीय प्रशंसकों को नहीं देना चाहेगी। कभी एक देश रहे भारत और पाकिस्तान अब राजनीति, कूटनीति, विदेश नीति, क्रिकेट या कहीं भी एक-दूसरे के विरुद्ध ही खड़े रहते हैं। 135 करोड़ से ज्यादा भारतीय चाहते हैं कि रविवार को जीत का रिकार्ड 13-1 कर दे।
Edited By:Sachin Lahudkar
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देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar