7 दिसंबर से 29 दिसंबर तक चलेगा। आगामी शीतकालीन सत्र में कुल 17 कार्य दिवस होंगे। इसकी जानकारी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दी।
By Aajtakkhabar Admin 19 November 2022
Aajtakkhabar:केंद्रीय मंत्री ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा, संसद का शीतकालीन सत्र, 7 दिसंबर 2022 से शुरू होगा और 29 दिसंबर 2022 तक चलेगा, जिसमें 23 दिनों में 17 बैठकें होंगी। अमृत काल के बीच सत्र के दौरान विधायी कार्य और अन्य मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है। रचनात्मक बहस के लिए हम तैयार हैं।
मौजूदा सदस्यों के निधन के मद्देनजर आगामी सत्र का पहला दिन स्थगित होने की संभावना है। हाल ही में जिन मौजूदा सांसदों का निधन हुआ है उनमें समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी शामिल हैं।
यह भी कहना है कि चूंकि कोविड की संख्या में काफी गिरावट आई है
सूत्रों का यह भी कहना है कि चूंकि कोविड की संख्या में काफी गिरावट आई है और लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अधिकांश सदस्यों और कर्मचारियों का पूरी तरह से टीकाकरण हो चुका है, इसलिए सत्र बिना किसी बड़े कोविड-प्रेरित प्रतिबंधों के आयोजित होने की संभावना है।
यह पहला सत्र होगा, जिसके दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जो राज्यसभा के सभापति हैं, उच्च सदन में कार्यवाही का संचालन करेंगे। सरकार आगामी सत्र के दौरान पारित होने वाले विधेयकों की एक सूची तैयार करेगी, जबकि विपक्ष जरूरी मामलों पर चर्चा की मांग करेगा।
पिछले सत्र के दौरान सात विधेयक लोकसभा और पांच विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित किए गए।
बता दें कि मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू हुआ था और 8 अगस्त को स्थगित हुआ था। इस सत्र में 22 दिनों की अवधि में 16 सत्र हुए थे। सत्र के दौरान लोकसभा में छह विधेयक पेश किए गए। पिछले सत्र के दौरान सात विधेयक लोकसभा और पांच विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित किए गए। एक विधेयक वापस ले लिया गया। सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयकों की कुल संख्या 5 थी।पिछले सत्र के दौरान, दोनों सदनों में मूल्य वृद्धि सहित 5 अल्पकालिक चर्चाएँ रखी गईं। लोकसभा की उत्पादकता लगभग 48 प्रतिशत और राज्यसभा की 44 प्रतिशत थी।
Edited By: Sachin Lahudkar
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देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar