PM गरीब कल्याण योजना के लिए हर साल 108 मिलियन टन खाद्यान्न की जरूरत: पीयूष गोयल
By Aajtakkhabar Admin 29 October 2022
Aajtakkhabar:हैदराबाद, पीटीआइ। केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत हर महीने 10 किलो चावल या गेहूं पाने वाले 80 करोड़ गरीब लोगों को समर्थन देने के लिए देश को हर साल 108 मिलियन टन खाद्यान्न की जरूरत है। फेडरेशन आफ तेलंगाना चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री में कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि अभी एक डर बना हुआ है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में खाद्यान्न का उत्पादन गिर सकता है, हालांकि अभी तक बेमौसम बारिश के कारण इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 80 करोड़ लोगों को पहले से ही करीब 5 किलो प्रति व्यक्ति खाद्यान्न और अति गरीब अंत्योदय परिवारों के लिए 35 किलो अनाज मिल रही है। साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत, अतिरिक्त 5 किलो के साथ कोटा बढ़ा दिया गया।
पीयूष गोयल ने कहा, ‘हमें अतिरिक्त खाद्यान्न के लिए हर महीने 40 लाख टन की जरूरत है। इसके अलावा हमें पहले से ही 50 लाख टन की जरूरत है। इसका मतलब है कि हमें हर महीने 90 लाख टन अनाज- गेहूं और चावल की जरूरत है। यह गरीब लोगों को लगभग मुफ्त मिलता है।’ उन्होंने कहा कि पिछले महीने तक भारत ने जिंसों के निर्यात को प्रोत्साहित किया, लेकिन सरकार को अपने लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है।
Edited By:Sachin Lahudkar
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देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar