POK के गिलगित- बाल्टिस्तान प्रांत में प्रतिदिन 10 घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है। बिजली कटौती के अलावा महंगाई को लेकर भी लोग लंबे समय से परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

POK के गिलगित- बाल्टिस्तान प्रांत में प्रतिदिन 10 घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है। बिजली कटौती के अलावा महंगाई को लेकर भी लोग लंबे समय से परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

By Aajtakkhabar Admin 13 November 2022

Aajtakkhabar:गिलगित-बाल्टिस्तान , एएनआइ।पूरे नगर में 10 घंटे तक बिजली कटौती के कारण व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बिजली कटौती के अलावा महंगाई को लेकर भी लोग लंबे समय से परेशानियों का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तानी वर्नाक्यूलर मीडिया ने यह जानकारी दी है। 

स्थानीय मीडिया के अनुसार, बलूचिस्तान प्रांत पिछले तीन हफ्तों से आटे की संकट से जूझ रहा है।

गिलगित-बाल्टिस्तान की अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने अघोषित बिजली कटौती और अन्य जरूरी मुद्दों को लेकर गिलगित में प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। विरोध प्रदर्शन में AAC मुख्य रूप से आटा डिलरशिप को समाप्त करने के मुद्दे को उठाना चाहती है। एआरवाई न्यूज के मुताबिक, डीलरशिप बंद होने से सरकार के लिए भ्रष्टाचार का नया रास्ता खुलेगा, साथ ही इालाके में बेरोजगारी बढ़ने का भी खतरा बढ़ेगा।  स्थानीय मीडिया के अनुसार, बलूचिस्तान प्रांत पिछले तीन हफ्तों से आटे की संकट से जूझ रहा है।

PFMA के अधिकारियों ने कहा कि संकट के लिए आटा मिल मालिकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था,

इस मामले पर पाकिस्तान फ्लोर मिल्स एसोसिएशन (PFMA) ने कहा कि आटे की मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है, जिस कारण यह संकट पैदा हुआ है। PFMA के अधिकारियों ने कहा कि संकट के लिए आटा मिल मालिकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, जबकि वास्तव में सरकार ने कटाई के मौसम में गेहूं के परिवहन पर एक राज्य से दूसरे राज्य और एक जिले से दूसरे जिले में ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसी कारण मांग और आपूर्ति में इतना बड़ा संकट देखने को मिल रहा है।

बलूचिस्तान में 20 किलो आटे की कीमत 2,380 रुपये से 2,500 रुपये हो गई है। पाकिस्तान कुछ दिनों पहले आई बाढ़ से प्रभावित हुआ था, जिसके बाद कई टन गेहूं और अन्य खाद्य उत्पाद नष्ट हो गए हैं। यह ऐसे समय में हुआ था जब देश पहले से ही महंगाई से जूझ रहा था।

Edited By: Sachin Lahudkar

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एस जयशंकर बोले- ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर है समूह का संदेश l

Aajtakkhbhar :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 की शुरुआत होने से पहले मोरक्को में आए भूकंप में हुई कई लोगों की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत हर संभव मदद करने के लिए तैयार है।

बता दें कि 10 सितंबर तक चलने वाले इस समिट के लिए दिल्ली पूरी तरह से तैयार है। दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मेहमानों के स्वागत और उनकी सुरक्षा के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। इस खास सम्मेलन के दौरान दुनियाभर की नजरें भारत की ओर रहेंगी।

वहीं, G20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते गुरुवार (8 सितंबर) को भी विभिन्न देशों के जनप्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी।

PM मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, मॉरीशस के पीएम प्रविंद कुमार जुगनाथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल हुए। जी20 समिट के आगाज के साथ ही पहले सत्र में ही कई बड़े फैसले लिए गए हैं। पीएम मोदी ने आज पहले सत्र ‘वन अर्थ’ के समापन के बाद मीडिया को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि जी20 समिट के पहले सत्र में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बनाने पर सहमति बनी है। पीएम ने आगे कहा कि समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए खरबों डॉलर की आवश्यकता है और विकसित देश इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और आगे भी निभा सकते हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र के बाद पीएम मोदी ने कई बड़े एलान किए। पीएम ने कहा कि भारत ने नई दिल्ली साझा घोषणा पत्र जारी कराने को लेकर सदस्य देशों के बीच सहमति बना ली है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन के पहले दिन दोपहर बाद तकरीबन 3.30 बजे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, आस्ट्रेलिया के पीएम एंथोनी अलबनिजी, जापान के पीएम फुमियो किशिदा, चीन के पीएम ली चियांग, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति विदोदो, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज लुला डी सिल्वा,  जैसे दिग्गज वैश्विक नेताओं के समक्ष इस बात का ऐलान किया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंक (MDB) की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की गई। बेहतर बड़े और अधिक प्रभावी एमडीबी का होना बेहद जरूरी है क्योंकि दुनिया भर से विकासात्मक मांगें बहुत बढ़ रही हैं, इसलिए इन संस्थानों को बेहतर और बड़ा बनाना होगा। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंक के पूंजी पर्याप्तता ढांचे पर एक स्वतंत्र पैनल की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए जी-20 रोडमैप का समर्थन किया गया।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि रोडमैप का अनुमान है कि सीएएफ और इसके उपायों के कार्यान्वयन से संभावित रूप से अगले दशक में लगभग 200 बिलियन अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त ऋण देने की गुंजाइश पैदा होगी।विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि जी-20 के नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की है और माना कि यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।  काला सागर अनाज गलियारे पर उन्होंने कहा कि इस बारे में कई प्रकार की चर्चाएं चल रही हैं। रूस के विदेश मंत्री, तुर्किये के राष्ट्रपति और उनका प्रतिनिधिमंडल, संयुक्त राष्ट्र महासचिव और कई लोग यहां पर मौजूद हैं।

भारत ने वह कर दिखाया, जो दुनिया का कोई देश नहीं कर सका।

Aajtakkhbhar:

 विश्व समुदाय अब भारत को और अधिक तेजी से उभरती हुई महाशक्ति के रूप में देख रहा है। इसरो ने अपने चंद्रयान-3 अभियान को न केवल बहुत कम कीमत में पूरा किया, बल्कि एक तरह से अपने बलबूते ही किया। इसी कारण दुनिया इसरो के साथ भारत का भी गुणगान कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-3 अभियान के सफल होने पर बधाई देते हुए यह सही कहा कि यह विकसित भारत का शंखनाद है और नए भारत का जयघोष है तथा इसरो की यह सफलता 140 करोड़ देशवासियों को उत्साह एवं उमंग प्रदान करने वाली है। प्रधानमंत्री ने यह भी ठीक ही कहा कि भारत की यह उड़ान चंद्रयान से भी आगे जाएगी और जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो आदित्य एल-1 मिशन भी लांच करेगा। इसके बाद सौरमंडल को परखने के लिए दूसरे अभियान भी शुरू किए जाएंगे।

वास्तव में उस क्षण ने भारत में नई ऊर्जा, नए विश्वास और नई चेतना का संचार किया, जिस क्षण चंद्रयान का लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरा। इसे प्रधानमंत्री ने यह कहकर अच्छे से रेखांकित किया कि जब हम अपनी आंखों के सामने इतिहास बनते हुए देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है और ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं जीवन में चिरंजीव चेतना बन जाती हैं।

चंद्रयान-3 अभियान की सफलता से भारतीय विज्ञानियों में जो नई ऊर्जा का संचार हुआ है, उससे अन्य अनेक लोगों और विशेष रूप से तकनीकी विशेषज्ञों और इंजीनियरों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि भारत के सामने कई ऐसी चुनौतियां हैं, जो निम्न स्तरीय इंजीनियरिंग के कारण समस्याएं पैदा कर रही हैं। इन समस्याओं से पार पाने की आवश्यकता है।

बाते चाहे आधारभूत ढांचे के निर्माण की हो या शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले विकास के कार्यों की, हर जगह सुधार जरूरी है। इसरो ने चंद्रयान-3 अभियान को सफल बनाने के लिए जिस दक्षता का परिचय दिया, वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। इस अभियान की बारीकियों में जाकर उसे सफल बनाने का जैसा काम किया गया, वैसा अन्य क्षेत्रों में भी इसलिए किया जाना चाहिए, क्योंकि कई बार निर्माण कार्यों की गुणवत्ता या फिर उनकी डिजाइन दोयम दर्जे की रहती है।

चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे चंद्रयान-2 की असफलता से लिए गए सबक भी हैं। 2019 में जब चंद्रयान-2 अपना अभियान पूरा नहीं कर पाया था, तब देशवासियों को निराशा हुई थी। कुछ देशों के लोगों ने तो इसरो का मजाक उड़ाते हुए यहां तक कहा था कि भारत एक गरीब देश है और उसे पहले अपनी बुनियादी समस्याओं को दूर करना चाहिए। यह भी कहा गया था कि आखिर भारत चांद पर जाने का सपना ही क्यों देख रहा है?

इसरो ने इन सभी आलोचकों के मुंह बंद कर दिए। इन आलोचकों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि भारत एक ओर जहां गरीबी से पार पाने की हर संभव कोशिश कर रहा है, वहीं विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भी अपने कदम तेजी से बढ़ा रहा है। वास्तव में यही वह उपाय है, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकता है। मोदी सरकार ने वर्तमान कालखंड को अमृतकाल का नाम दिया है और यह संकल्प लिया है कि 2047 तक भारत को विकसित देश बनाना है।

कुछ लोग यह सवाल कर सकते हैं कि आखिर चांद के दक्षिणी छोर पर पहुंचकर भारत ने क्या पाया? ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि आने वाले समय में चांद को लेकर की जानी वाली खोज मानवता की भलाई में सहायक होगी। चांद में ऐसे अनेक खनिज और रसायन हो सकते हैं, जिनका दोहन करके समृद्धि की ओर बढ़ा जा सकता है। चांद को लेकर किए जाने वाले शोध यह बताने में भी सहायक होंगे कि सौरमंडल कैसे बना और विकसित हुआ? इसके अतिरिक्त इसका भी आकलन हो सकता है कि वहां इंसानों को बसाया जा सकता है या नहीं? यही कारण रहा कि प्रधानमंत्री ने चंद्रयान की सफलता को समस्त मानवता की कामयाबी करार दिया।

इस समय जहां इसरो की सफलता का डंका बज रहा है, वहीं भारत के रक्षा उद्योग के साथ सूचना एवं संचार तकनीक क्षेत्र भी आगे बढ़ रहे हैं। इसी तरह फार्मा क्षेत्र भी दुनिया में अपना नाम कमा रहा है। अब कोशिश यह होनी चाहिए कि भारत के सभी शोध-अनुसंधान एवं निर्माण संस्थान अपने कार्यों में वैसी ही उत्कृष्टता हासिल करें, जैसी इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान में प्राप्त कर ली है। चूंकि कोई भी देश अपने संस्थानों के माध्यम से ही विकसित बनने के साथ ही समृद्धि हासिल करता है, इसलिए सरकार को विभिन्न संस्थाओं को उत्कृष्ट शोध एवं अनुसंधान के लिए प्रेरित करना चाहिए और उन्हें पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए।

यह ठीक है कि मोदी सरकार इस दिशा में सक्रिय है, लेकिन देश के विभिन्न संस्थानों को विश्व स्तरीय तभी बनाया जा सकता है, जब उन्हें धन के अभाव का सामना न करना पड़े। भारत को एक विकसित देश बनने के लिए अभी एक लंबा सफर तय करना है। इस सफर को तभी आसान बनाकर नए भारत की नई कहानी लिखी जा सकती हैl

Edited By : Sachin Lahudkar

रूस यूक्रेन के बीच सामान्य रिश्ता चाहता भारत, चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर जताई चिंता

Aajtakkhabar:वियाना, एजेंसी। भारत ने यूक्रेन के जपोरीजिया परमाणु संयंत्र के आसपास स्थिति सामान्य बनाने का प्रयास किया और मास्को व कीव के बीच खाद्यान्न समझौते में खामोशी से मदद की। उन्होंने इन आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया कि रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत युद्ध का फायदा उठा रहा है।

जयशंकर ने रूसी कच्चे तेल की कीमतों की सीमा तय करने को पश्चिमी देशों का फैसला करार दिया जो भारत के साथ विचार-विमर्श के बिना लिया गया था।उन्होंने कहा कि भारत स्वत: उन चीजों को स्वीकार नहीं कर सकता जिन्हें दूसरों ने तय किया है। आस्टि्रया के अखबार ‘डाई प्रेस’ को दिए साक्षात्कार में जयशंकर ने यूक्रेन संकट के बारे में एक सवाल के जवाब में स्थिति को सामान्य बनाने में योगदान देने के लिए तैयार होने का संकेत दिया। यह पूछे जाने पर क्या मध्यस्थता की मुख्य भूमिका तुर्किये पहले ही ले चुका है,

जयशंकर ने कहा, ‘नहीं, लेकिन सवाल यह नहीं है कि मध्यस्थता का श्रेय किसे मिलता है और कौन सुर्खियां बटोरता है।’रूस से भारत द्वारा सस्ती दर पर ऊर्जा खरीद से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वह इस बात को राजनीतिक रूप से और गणितीय रूप से भी खारिज करते हैं कि भारत युद्ध का फायदा उठा रहा है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की कीमतें दोगुनी हो गई हैं और तेल बाजार पर ईरान पर लगे प्रतिबंध और वेनेजुएला में होने वाले घटनाक्रमों का भी असर पड़ता है।

जब उनसे पूछा गया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के विरुद्ध रूस के आक्रामण की निंदा करने वाले प्रस्ताव का समर्थन क्यों नहीं किया तो जयशंकर ने कहा कि प्रत्येक देश घटनाओं का आकलन अपनी स्थिति, हितों और इतिहास के अनुसार करता है।यूक्रेन में जो कुछ हुआ वह यूरोप के ज्यादा करीब है।

रूस हमेशा भारत का मददगार देश रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन का उभार और उसकी ताकत में वृद्धि हिंद-प्रशांत के लिए बड़ी चुनौती है, विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी क्षेत्र स्थिर नहीं रहेगा अगर उसमें किसी एक ताकत का प्रभुत्व होगा।विभिन्न देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों का सार साथ आने और संतुलन स्थापित करने की कोशिश है। यह कहते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय लोगों को यह समझने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है कि जीवन के कठिन पहलुओं पर हमेशा दूसरे ध्यान नहीं देते।

Edited By:Sachin Lahudkar

भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध का फ़ायदा उठाने का आरोप लगाया है.यूक्रेन ने कहा, ‘भारत हमारी ज़िंदगियों की कीमत पर ले रहा है रूसी तेल’: प्रेस रिव्यू BBC

Aajtakkhabar: bbc News ,अंग्रेजी अख़बार द टेलीग्राफ़ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, कुलेबा ने भारत की ओर से इसे ‘यूक्रेन युद्ध’ कहने पर भी सवाल उठाया है.

उन्होंने कहा कि जब भारत को ‘हमारे दुख-दर्द’ से लाभ हो रहा है तो वो कम से कम इतना तो कर ही सकता है कि वो हमें देने वाली मदद को बढ़ा दे.

भारत सरकार इस साल 24 फ़रवरी को रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन में मानवीय सहायता उपलब्ध करा रही है.

कुलेबा ने भारत को लेकर ये बात भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आने के बाद कही है.

जयशंकर ने एक बार फिर कहा है कि भारत अभी भी यूरोपीय संघ की तुलना में काफ़ी कम मात्रा में रूसी तेल ख़रीद रहा है.

कुलेबा ने कहा, “सिर्फ़ यूरोपीय संघ पर उंगली उठाते हुए ये कहना पर्याप्त नहीं है कि ‘देखिए, वो भी तो यही कर रहे हैं’ क्योंकि भारत को सस्ते दामों पर रूसी तेल ख़रीदकर पैसे बचाने का जो अवसर मिला है, वो इसलिए नहीं है कि यूरोपीय संघ भी रूस से तेल ख़रीद रहा है. ये इस वजह से है क्योंकि यूक्रेनी लोग रूसी युद्ध की वजह से परेशान हो रहे हैं और मर रहे हैं.”

भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से सस्ती दरों पर उपलब्ध रूसी तेल का आयात बढ़ा दिया है.

हालांकि, यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर भारत का रुख़ चिंता से भरा रहा है.

द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में कहा है कि भारत लगातार संवाद शुरू करने की दिशा में बढ़ने की बात कर रहा है.

उन्होंने कहा, “भारत ये कहता आया है कि हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए. भारत ने दोनों पक्षों से कूटनीति और संवाद की ओर बढ़ने की अपील की है. और लगातार कहा है कि वह संघर्ष ख़त्म करने के लिए सभी तरह के कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करता है.”

Musk के ट्विटर की बागडोर संभालने के बाद कई सेलिब्रिटी ने प्लेटफार्म छोड़ दिया।

Aajtakkhabar :अमेरिकी ,अभिनेता, कॉमेडियन, लेखक और टेलीविजन पर्सनालिटी व्हूपी गोल्डबर्ग ने 7 नवंबर को ट्विटर छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा की। गोल्डबर्ग ने ट्वीट किया कि मैं आज छुट्टी ले रही हूं । मुझे ऐसा लगता है कि यह बहुत मैसी(messy) है, और अब मैं थक गयी हूं कि कुछ तरह के दृष्टिकोण अवरुद्ध हो गए हैं, और अब वे वापस आ गए हैं। मैं बाहर निकलने जा रही हूं। अगर यह ठीक हो जाता है और मैं अधिक सहज महसूस करती हूं तो शायद मैं वापस आ जाऊं। इसके बाद गोल्डबर्ग ने अपना ट्विटर अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया है।The View ने इसके बारे में अपने ट्विटर पोस्ट में बताया है।

शोंडा लिन राइम्स एक अमेरिकी टेलीविजन स्क्रीन राइटर, निर्माता और लेखक हैं।

29 अक्टूबर को राइम्स ने ट्वीट किया कि Not hanging around for whatever Elon has planned. Bye. उन्होंने तब से कोई ट्वीट नहीं किया है। हालांकि, उसका खाता अभी एक्टिवेट है।

जेलेना नूरा “गिगी” हदीद एक अमेरिकी मॉडल, टेलीविजन पर्सनालिटी, संस्थापक, निर्माता और “गेस्ट इन रेजिडेंस” की निदेशक हैं। इस मॉडल ने 7 नवंबर को अपने इंस्टाग्राम पेज पर लिखा कि मैंने आज अपना ट्विटर अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया।

डेविड जुडाह साइमन एक अमेरिकी लेखक, पत्रकार, पटकथा लेखक और निर्माता हैं। साइमन ने 9 नवंबर को ट्वीट किया करके ट्विटर छोड़ने की बात कही थी और लगातार कई पोस्ट किए थे। हालांकि, उनका अकाउंट अभी भी सक्रिय है। तब से उन्होंने दस से अधिक बार ट्वीट किया है।

ब्रेक्सटन ने ट्वीट किया कि मैं इस मंच पर इसके

अधिग्रहण के बाद से देखे गए कुछ  फ्री स्पीच से हैरान और चकित हूं। ट्विटर से दूर रहूंगी क्योंकि यह अब मेरे लिए, मेरे बेटों और अन्य POC के लिए सुरक्षित स्थान नहीं है। उसने 28 अक्टूबर को अपने फैसले की घोषणा की।

जॉन एंथोनी व्हाइट, जिसे आमतौर पर जैक व्हाइट के नाम से जाना जाता है, एक अमेरिकी संगीतकार है, जो युगल द व्हाइट स्ट्राइप्स के प्रमुख गायक और गिटारवादक के रूप में जाने जाते हैं। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक लंबा और व्यापक बयान पोस्ट करने के बाद, उन्होंने 20 नवंबर को ट्विटर छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा की। उनका अकाउंट तब से निष्क्रिय है।

एरिक जे लार्सन एक अमेरिकी हास्य पुस्तक कलाकार, लेखक और प्रकाशक हैं। मस्क के टेकऑफर के बाद उन्होंने भी ट्विटर छोड़ दिया है।

Edited By:Sachin Lahudkar

अर्जेंटीना ने 2021,कोपा कप को जीता था। उसके बाद से अर्जेंटीना ने 36 मैच खेले। इसमें से किसी भी मैच में उसे हार का सामना नहीं करना पड़ा है। 

Aajtkkhabar:1978 और 1986 में अर्जेंटीना ने फीफा वर्ल्ड कप जीता था। अपने आखिरी फीफा विश्व कप में लियोनेल मेसी उस उपलब्धि को दोहराना चाहेंगे।

अर्जेंटीना ने 2021 में अमेरिका में हुए कोपा कप को जीता था। उसके बाद से अर्जेंटीना ने 36 मैचों खेले। इसमें से किसी भी मैच में उसे हार का सामना नहीं करना पड़ा है। अपने पिछले पांच गेम में उसने जीत दर्ज की है।

बात सऊदी अरब की करें तो 1994 के फीफा वर्ल्ड कप के दौरा वह ग्रुप स्टेज से बमुश्किल वह राउंड ऑफ 16 में पहुंचे थे, लेकिन हार के साथ उनका सफर खत्म हो गया था। साउदी अरब ने सभी प्रतियोगिताओं में अपने पिछले दस मैचों में से केवल 2 जीते हैं।

बात करें हेड-टू-हेड की तो अर्जेंटीना और सऊदी अरब पहले कभी विश्व कप में नहीं भिड़े हैं, लेकिन अर्जेंटीना ने एशियाई राष्ट्र के साथ अपने पिछले चार मुकाबलों में दो जीत और दो ड्रॉ मैच खेलें हैं।

Edited By:Sachin Lahudkar