अभिनेता विक्रम गोखले के निधन की खबर सामने आने के बाद बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ रही है l
By Aajtakkhabar Admin 26 November 2022
Aajtakkhabar: दिग्गज अभिनेता विक्रम गोखले के निधन की जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। एजेंसी ने निधन के बारे में बताते हुए लिखा, पुणे के एक अस्पताल में एक्टर विक्रम गोखले का 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
बॉलीवुड के खिलाड़ी और भूल भुलैया जैसी फिल्म में उनके साथ काम करने वाले अभिनेता अक्षय कुमार ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी है। अक्षय कुमार ने लिखा, विक्रम गोखले जी के निधन की खबर से बहुत दुखी हूं, उनके साथ भूल भुलैया, मिशन मंगल जैसी फिल्मों में काम किया और उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।
विक्रम गोखले के निधन की जानकारी मिलते ही अशोक पंडित ने लिखा,
मराठी रंगमंच, टीवी और सिनेमा के बादशाह आदरणीय विक्रम गोखले जी हमारे बीच नहीं रहे। ये इंडस्ट्री के लिए बड़ा नुकसान है। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
आपको बता दें कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत साल 1971 में आई फिल्म अमिताभ बच्चन की फिल्म परवाना में काम किया है। इस फिल्म में पहली बार अमिताभ बच्चन ने नेगेटिव रोल दिखा गया था।
परवाना से हिंदी सिनेमा में डेब्यू करने के बाद उन्होंने दर्जनों हिंदी और मराठी फिल्मों अहम किरदार निभाए हैं।
उन्होंने संजय लीला भंसाली की फिल्म हम दिल दे चुके सनम, भूल भुलैया, मिशन मंगल, दिल से, दे दना दन, हिचकी, निकम्मा, अग्निपथ, विक्रम बेताल जैसी फिल्मों में काम किया है।
बात अगर विक्रम गोखले के करियर की करें तो उन्होंने मराठी, हिंदी फिल्मों के साथ-साथ कई टीवी शोज में भी काम किया है और उन्हें अपने प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है।
Edited By : Priya Lahudkar
Related News
देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar