टूरिज्म का ग्लोबल हब, देश के बुनियादी ढांचे में हो रहा निवेश:-मनसुख मंडाविया
By Aajtakkhabar Admin 21 October 2022
Aajtakkhabar:मांडविया ने कहा कि, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में निवेश के जरिए भारत स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ रहा है। कार्यक्रम में बोलते हुए, डा. मनसुख मंडाविया ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति कर रहा है। सरकार ने स्वास्थ्य को विकास से जोड़ा है, क्योंकि केवल एक स्वस्थ नागरिक ही राष्ट्रीय विकास में योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि, कल्याण और उपचार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे लोग बीमार न पड़ें। यही कारण है कि हमारी सरकार स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।देश में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर मंत्री मंडाविया ने कहा कि सरकार न केवल अधिक चिकित्सा सुविधाओं का निर्माण कर रही है बल्कि मेडिकल कॉलेजों की संख्या और एमबीबीएस सीटों की संख्या भी बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, जब तक युवा मेडिकल कॉलेजों से स्नातक होंगे, तब तक देश एक मेडिकल टूरिज्म हब में बदल चुका होगा। यहां दुनिया भर के मरीजों को इलाज मुहैया कराएगा। वहीं, देश की रिसर्च नीति पर बोलते हुए डा. मंडाविया ने कहा कि दुनिया भर में हर 10 वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों में से लगभग 3 भारतीय हैं। सरकार की शोध नीति प्रतिभाशाली युवाओं को प्रोत्साहित करती है और उनका समर्थन करती है। भारत का लक्ष्य नवाचार और अनुसंधान में अग्रणी बनना है।
Edited by:Sachin Lahudkar
Related News
देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar