बढ़ती आबादी को देख वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने छेड़ा अभियान
By Aajtakkhabar Admin 29 October 2022
Aajtakkhabar:JAGRAN NEWS, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने देशभर में वन्य जीवों के गलियारों की नए सिरे से मैपिंग करने और उन्हें सुगम बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसकी शुरुआत हाथियों के पारंपरिक गलियारों को पहचानने और उन्हें बहाल करने के साथ की है।हाथियों के गलियारे तैयार करने की दिशा में यह कदम इसलिए भी बढ़ाया गया है क्योंकि नई-नई सड़कों और रेल लाइनों के चलते आवाजाही की सबसे बड़ी दिक्कत हाथियों के सामने ही है। भारी-भरकम शरीर होने के चलते इन्हें ऊंचे-नीचे रास्तों पर चलने में दिक्कत होती है। खासकर इनके बच्चों को भारी समस्या होती है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो इस पहल के तहत अब तक हाथियों के करीब 87 गलियारों की पहचान की जा चुकी है।
वन्य जीवों के गलियारों को बहाल करने की मुहिम में जुटे वन्य जीव विशेषज्ञों की मानें तो इस काम को इसलिए भी पूरा करना जरूरी है क्योंकि इससे वन्य जीवों के साथ होने वाली दुर्घटनाएं थमेंगी।
साथ ही मनुष्यों के साथ होने वाला उनका संघर्ष भी थमेगा। अभी स्थिति यह है कि अपने पारंपरिक गलियारों के बिखर जाने से वन्य जीव एक वन क्षेत्र से दूसरे वन क्षेत्र में जाने के लिए भटक रहे है। यह मै¨पग उनके पुराने या फिर नए निर्मित गलियारों को ध्यान में रखकर की जा रही है।
Edited By:Sachin Lahudkar
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देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं
एक तरफ जहां मोदी सरकार का कहना है कि चुनाव के खर्च में कमी करने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि इससे संघीय ढांचा कमजोर होगा।क्या वाकई लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से देश को आर्थिक फायदा होगा? एक रिपोर्ट के जरिए इस सवाल का जवाब दिया गया है।पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।
एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
विधानसभा सीटों पर खर्च
देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च
देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है। देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।
Edited by; sachin lahudkar