रूस यूक्रेन के बीच सामान्य रिश्ता चाहता भारत, चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर जताई चिंता
By Aajtakkhabar Admin 5 January 2023
Aajtakkhabar:वियाना, एजेंसी। भारत ने यूक्रेन के जपोरीजिया परमाणु संयंत्र के आसपास स्थिति सामान्य बनाने का प्रयास किया और मास्को व कीव के बीच खाद्यान्न समझौते में खामोशी से मदद की। उन्होंने इन आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया कि रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत युद्ध का फायदा उठा रहा है।
जयशंकर ने रूसी कच्चे तेल की कीमतों की सीमा तय करने को पश्चिमी देशों का फैसला करार दिया जो भारत के साथ विचार-विमर्श के बिना लिया गया था।उन्होंने कहा कि भारत स्वत: उन चीजों को स्वीकार नहीं कर सकता जिन्हें दूसरों ने तय किया है। आस्टि्रया के अखबार ‘डाई प्रेस’ को दिए साक्षात्कार में जयशंकर ने यूक्रेन संकट के बारे में एक सवाल के जवाब में स्थिति को सामान्य बनाने में योगदान देने के लिए तैयार होने का संकेत दिया। यह पूछे जाने पर क्या मध्यस्थता की मुख्य भूमिका तुर्किये पहले ही ले चुका है,
जयशंकर ने कहा, ‘नहीं, लेकिन सवाल यह नहीं है कि मध्यस्थता का श्रेय किसे मिलता है और कौन सुर्खियां बटोरता है।’रूस से भारत द्वारा सस्ती दर पर ऊर्जा खरीद से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वह इस बात को राजनीतिक रूप से और गणितीय रूप से भी खारिज करते हैं कि भारत युद्ध का फायदा उठा रहा है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की कीमतें दोगुनी हो गई हैं और तेल बाजार पर ईरान पर लगे प्रतिबंध और वेनेजुएला में होने वाले घटनाक्रमों का भी असर पड़ता है।
जब उनसे पूछा गया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के विरुद्ध रूस के आक्रामण की निंदा करने वाले प्रस्ताव का समर्थन क्यों नहीं किया तो जयशंकर ने कहा कि प्रत्येक देश घटनाओं का आकलन अपनी स्थिति, हितों और इतिहास के अनुसार करता है।यूक्रेन में जो कुछ हुआ वह यूरोप के ज्यादा करीब है।
रूस हमेशा भारत का मददगार देश रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन का उभार और उसकी ताकत में वृद्धि हिंद-प्रशांत के लिए बड़ी चुनौती है, विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी क्षेत्र स्थिर नहीं रहेगा अगर उसमें किसी एक ताकत का प्रभुत्व होगा।विभिन्न देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों का सार साथ आने और संतुलन स्थापित करने की कोशिश है। यह कहते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय लोगों को यह समझने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है कि जीवन के कठिन पहलुओं पर हमेशा दूसरे ध्यान नहीं देते।
Edited By:Sachin Lahudkar
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भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध का फ़ायदा उठाने का आरोप लगाया है.यूक्रेन ने कहा, ‘भारत हमारी ज़िंदगियों की कीमत पर ले रहा है रूसी तेल’: प्रेस रिव्यू BBC
Aajtakkhabar: bbc News ,अंग्रेजी अख़बार द टेलीग्राफ़ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, कुलेबा ने भारत की ओर से इसे ‘यूक्रेन युद्ध’ कहने पर भी सवाल उठाया है.
उन्होंने कहा कि जब भारत को ‘हमारे दुख-दर्द’ से लाभ हो रहा है तो वो कम से कम इतना तो कर ही सकता है कि वो हमें देने वाली मदद को बढ़ा दे.
भारत सरकार इस साल 24 फ़रवरी को रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन में मानवीय सहायता उपलब्ध करा रही है.
कुलेबा ने भारत को लेकर ये बात भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आने के बाद कही है.
जयशंकर ने एक बार फिर कहा है कि भारत अभी भी यूरोपीय संघ की तुलना में काफ़ी कम मात्रा में रूसी तेल ख़रीद रहा है.
कुलेबा ने कहा, “सिर्फ़ यूरोपीय संघ पर उंगली उठाते हुए ये कहना पर्याप्त नहीं है कि ‘देखिए, वो भी तो यही कर रहे हैं’ क्योंकि भारत को सस्ते दामों पर रूसी तेल ख़रीदकर पैसे बचाने का जो अवसर मिला है, वो इसलिए नहीं है कि यूरोपीय संघ भी रूस से तेल ख़रीद रहा है. ये इस वजह से है क्योंकि यूक्रेनी लोग रूसी युद्ध की वजह से परेशान हो रहे हैं और मर रहे हैं.”
भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से सस्ती दरों पर उपलब्ध रूसी तेल का आयात बढ़ा दिया है.
हालांकि, यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर भारत का रुख़ चिंता से भरा रहा है.
द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में कहा है कि भारत लगातार संवाद शुरू करने की दिशा में बढ़ने की बात कर रहा है.
उन्होंने कहा, “भारत ये कहता आया है कि हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए. भारत ने दोनों पक्षों से कूटनीति और संवाद की ओर बढ़ने की अपील की है. और लगातार कहा है कि वह संघर्ष ख़त्म करने के लिए सभी तरह के कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन करता है.”