SBI बैंक ने एमसीएलआर की मार्जिनल लागत में 15 आधार अंकों की वृद्धि की है, जिससे अधिकांश कर्जदारों के लिए लोन महंगे हो गए हैं।

SBI बैंक ने एमसीएलआर की मार्जिनल लागत में 15 आधार अंकों की वृद्धि की है, जिससे अधिकांश कर्जदारों के लिए लोन महंगे हो गए हैं।

By Aajtakkhabar Admin 16 November 2022

Aajtakkhabar:बिजनेस डेस्क,एक साल का बेंचमार्क एमसीएलआर, जिसके आधार पर ज्यादातर होम, ऑटो और पर्सनल लोन की दरें तय की जाती हैं, को 10 बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) बढ़ाकर 8.05 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह 7.95 फीसद था। इसी तरह, दो साल और तीन साल के एमसीएलआर को 10 आधार अंक बढ़ाकर 8.25 प्रतिशत और 8.35 प्रतिशत कर दिया गया है। एसबीआई ने अपनी वेबसाइट इसकी जानकारी देते हुए एक अधिसूचना भी जारी किया है।

एक महीने और तीन महीने के एमसीएलआर को 15 आधार अंक बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत कर दिया गया है। छह महीने की एमसीएलआर में 15 आधार अंकों की वृद्धि के साथ दर को 8.05 प्रतिशत कर दिया गया है। एसबीआई ने ओवरनाइट रेट में 10 आधार अंकों की वृद्धि कर दी है और ये 7.60 प्रतिशत हो गया है।

Edited By:Sachin Lahudkar

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G-20 शिखर सम्मेलन की सफलता से भारतीय शेयर बाजार का सबसे प्रमुख सूचकांक निफ्टी पहली बार 20 हजार अंक के पार पहुंच गया।

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विदेशी बाजारों का क्या है हाल?

एशिया  में मिला-जुला माहौल देखने को मिल रहा है। टोक्यो, हांगकांग और ताइपे के बाजार गिरावट के साथ बंद हुए हैं। वहीं, सियोल और शंघाई के बाजार हरे निशान में बंद हुए हैं। अमेरिका के बाजार शुक्रवार के सत्र में हल्की बढ़त के साथ बंद हुए थे। कच्चे तेल की कीमत में हल्की गिरावट देखी जा रही है। ब्रेंट क्रूड का रेट 90.42 डॉलर प्रति बैरल है।

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Edited by :sachin lahudkar

अडाणी मामले में 22 आरोपों की जांच पूरी की, पांच देशों से ये जानकारी आने का अभी इंतजार l

Aajtakkhbhar:

Supreme Court:-2023 की शुरुआत में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म Hindenburg की ओर से अडानी ग्रुप को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की गई थी, जिसमें समूह पर 88 गंभीर सवाल उठाए गए थे lसुप्रीम कोर्ट की ओर से मार्केट रेग्युलेटर को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच रिपोर्ट 14 अगस्त 2023 तक सब्मिट करने के लिए कहा गया था, लेकिन

सेबी ने अपनी रिपोर्ट 25 अगस्त को कोर्ट में दाखिल कर दी थी. बता दें कि सेबी की ओर से अडानी समूह के एक्टिविटीज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कुल 24 जांच की जा रही हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो इन 24 जांचों में से 22 का फाइनल रिजल्ट आ चुका है l

जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया गया 

हालांकि सेबी ने इन जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया लेकिन उसने संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन के साथ जांच में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा दिया है। बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सेबी इस जांच के नतीजों के आधार पर कानून के अनुरूप उचित कार्रवाई करेगा।” यह रिपोर्ट अडाणी समूह की कंपनियों की शेयरों के भाव में हेराफेरी, संबंधित पक्षों के साथ लेनदेन का खुलासा करने में कथित नाकामी और समूह के कुछ शेयरों में भेदिया कारोबार प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों पर अपनी अंतिम राय रखती है। हालांकि विदेशी फर्जी कंपनियों के जरिये अपनी ही कंपनियों में निवेश करके न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के प्रावधान का उल्लंघन करने के आरोप पर सेबी ने कहा कि इस मामले में 13 विदेशी संस्थाएं शामिल हैं जिनमें 12 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) और एक विदेशी कंपनी है। इन 13 विदेशी इकाइयों को अडाणी समूह की कंपनियों के सार्वजनिक शेयरधारकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। लेकिन अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में इनमें से कुछ इकाइयों को अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी द्वारा संचालित या उनकी सहयोगी बताया गया था।

‘टैक्स हेवन’ देशों से जानकारी जुटाना चुनौती 

सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई संस्थाओं के ‘टैक्स हेवन’ देशों में स्थित होने से 12 एफपीआई के शेयरधारकों के आर्थिक हित को स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है।” ‘टैक्स हेवन’ के रूप में वे देश शामिल हैं जिसे कर चोरी करने वालों के लिये पनाहगाह माना जाता है। इन देशों में पंजीकृत कंपनियों पर बहुत कम दर से अथवा कोई कर नहीं लगाया जाता है। इस वजह से कई कंपनियां कर से बचने के लिए इन देशों में अपना पंजीकरण कराती रही हैं। बाजार नियामक ने कहा कि इन विदेशी निवेश कंपनियों के असली मालिकों के बारे में पांच देशों से सूचनाएं जुटाने की कोशिशें जारी हैं। ऐसा न होने तक यह जांच रिपोर्ट अंतरिम है। सेबी ने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले और उसके बाद में अडाणी समूह के शेयरों में कारोबार से संबंधित एक अंतरिम रिपोर्ट को सक्षम प्राधिकारी ने मंजूरी दे दी है। यह रिपोर्ट 24 अगस्त को स्वीकृत की गई है। सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पहले और बाद में अडाणी समूह के शेयरों में हुए कारोबार के संदर्भ में जानकारी जुटाने के लिए विदेशी एजेंसियों एवं इकाइयों से भी संपर्क साधा गया। सेबी ने कहा कि अब भी कुछ सूचनाएं मिलने का इंतजार है। 

हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई थी 

हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और बहीखाते में धोखाधड़ी के अलावा विदेशी फर्मों के जरिए हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों के बाद समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में दो महीनों के भीतर 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी। हालांकि अडाणी समूह ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा था कि यह रिपोर्ट उसे निशाना बनाने की नीयत से जारी की गई और वह सभी नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है। उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी को इन आरोपों पर गौर करने और अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने को कहा था। सेबी को अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त की समय सीमा तय की गई थी। नियामक ने जांच पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय से 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। अब सेबी ने अपनी जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश कर दी है। इन आरोपों के नियामकीय पहलुओं पर विचार करने के लिए मार्च में एक अलग छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति भी बनायी गयी थी। उस समिति ने मई में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नियामक अब तक अपनी जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है l 

Edited By : Sachin Lahudkar

हिंडनबर्ग रिपोर्ट से मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया।

Aajtakkhabar: नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट निवेशकों की सुरक्षा के लिए नियामक तंत्र से संबंधित समिति के गठन पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।हिंडनबर्ग रिपोर्ट से उत्पन्न मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया। सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे इस समिति के अध्यक्ष होंगे।सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि समिति स्थिति का समग्र आकलन करेगी और निवेशकों को जागरूक करने के उपाय सुझाएगी।

एक्सपर्ट कमेटी में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएम सप्रे के साथ ही ओपी भट्ट, केवी कामथ, नंदन नीलेकणि, जस्टिस देवधर और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं।

सेबी और जांच एजेंसियां ​​विशेषज्ञ पैनल का समर्थन करेंगी। सर्वोच्च न्यायालय ने हालिया शेयर दुर्घटना की जांच के लिए समिति गठित करने का आदेश दिया है।कमेटी शेयर बाजार में आई गिरावट के कारणों की जांच करेगी और भविष्य के लिए सुझाव देगी।गौतम अदाणी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए एक ट्वीट शेयर किया है। उन्होंने ट्वीट में कहा, “अदाणी समूह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है। यह समयबद्ध तरीके से अंतिम रूप लाएगा और सत्य की जीत होगी।”

अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में केन्द्र द्वारा सीलबंद कवर सुझाव को मानने से इनकार कर दिया था।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ के सुनावई के दौरान कहा था कि वह सीलबंद कवर के सुझाव को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि वे पूरी पारदर्शिता चाहते हैं।दरअसल, पिछले महीने अदाणी समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई थी।

24 जनवरी की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में समूह द्वारा स्टॉक में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। हालांकि, अदाणी समूह ने 29 जनवरी को 413 पन्नों की एक लंबी रिपोर्ट में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट किसी विशिष्ट कंपनी पर हमला नहीं, बल्कि भारत की विकास गाथा पर हमला बताया था।

Edited By: Sachin Lahudkar

अडानी ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद से ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है।

Aajtakkhabar:ग्रुप का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से अधिक गिर चुका है। अब ग्रुप की कंपनियों के बारे में एक और खबर आ रही है। अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों ने बैंकों के पास अपने शेयर गिरवी रखे हैं। इन

बैंकों ने अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) को कर्ज दे रखा है।

इन कंपनियों ने अपने शेयर एसबीआईकैप ट्रस्टी कंपनी (SBICAP Trustee Co) के पास गिरवी रखे हैं। एसबीआईकैप ट्रस्टी कंपनी देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक यूनिट है। उसने बीएसई (BSE) को एक जानकारी में बताया कि अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (APSEZ), अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड (Adani Transmission Ltd) और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (Adani Green Energy Ltd) ने उसके पास अपने शेयर गिरवी रखे हैं।Hindenburg Research ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप के बारे में एक निगेटिव रिपोर्ट जारी की थी।

इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप ने शेयरों के साथ छेड़छाड़ की है।

हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है। लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है। इस बीच MSCI ने भी अडानी ग्रुप की चार कंपनियों का फ्री फ्लोट स्टेटस कम कर दिया है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) अडानी ग्रुप और कुछ इनवेस्टर्स के साथ उसके लिंक्स की जांच कर रहा है। इन निवेशकों ने हाल में ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के एफपीओ में पैसा लगाया था। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस एफपीओ को वापस ले लिया था और निवेशकों के पैसे लौटा दिए थे।

एसबीआई ने अडानी ग्रुप के ऑस्ट्रेलिया में स्थित कार्मीकेल प्रोजेक्ट को 30 करोड़ डॉलर की स्टैंडबाई एलसी फैसिलिटी दी थी।

इसके तहत ग्रुप की तीन कंपनियों के कुछ अतिरिक्त शेयर गिरवी रखे गए हैं। 140% के जरूरी कोलेट्रल कवरेज की हर महीने के अंत में समीक्षा की जाती है और किसी भी कमी को टॉप अप के रूप में पूरा किया जाता है। पिछले साल जून और जुलाई में टॉप अप किया गया था और ऐसा तीसरा टॉप अप आठ फरवरी को किया गया।प्रवक्ता ने कहा कि सिक्योरिटी ट्रस्टी होने के नाते एसबीआई कैप ट्रस्टी कंपनी को इसकी जानकारी सेबी को देनी पड़ती है।

जब भी गिरवी रखे गए शेयरों की संख्या में बदलाव होता है तो इसकी जानकारी मार्केट रेगुलेटर को देनी पड़ती है।

इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट में अडानी ग्रीन के गिरवी शेयरों की संख्या 1.06 परसेंट, अडानी पोर्ट्स की 1.00 परसेंट और अडानी ट्रांसमिशन की 0.55 फीसदी पहुंच गई है। यह केवल अतिरिक्त कोलेट्रल सिक्योरिटी है और इसके लिए एसबीआई ने कोई फाइनेंस नहीं दिया है।

Edited By: Sachin Lahudkar

बड़ी बीमा कंपनी LIC संसद में बीमा कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद समग्र यानी कम्पोजिट लाइसेंस पर विचार कर सकती है। 

Aajtakkhabar:

विधेयक के अनुसार एक आवेदक किसी भी श्रेणी या प्रकार के बीमा व्यवसाय के एक या एक से अधिक वर्गों/उप-श्रेणियों के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकता है।

कम्पोजिट लाइसेंस बीमाकर्ताओं को एक ही इकाई के माध्यम से सामान्य और स्वास्थ्य बीमा, दोनों प्रदान कराने की अनुमति देगा। हालांकि पुनर्बीमा में लगी कंपनियां बीमा व्यवसाय के किसी अन्य वर्ग में अपना रिजस्ट्रेशन नहीं करा सकतीं।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है

एलआईसी जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 को ध्यान में रखते हुए समग्र लाइसेंस और विधेयक के पारित होने से उत्पन्न होने वाले अन्य मुद्दों पर व्यापक तरीके से विचार करेगी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बीमा अधिनियम 1938 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों के साथ विधेयक को अगले महीने से शुरू होने वाले आगामी बजट सत्र में संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है।

अगर कंपोजिट इंश्योरेंस रजिस्ट्रेशन का प्रस्ताव पास हो जाता है तो इन कंपनियों के लिए सॉल्वेंसी मार्जिन और कैपिटल रिक्वायरमेंट में बदलाव होगा।

बीमा कानून में प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, पॉलिसीधारकों को रिटर्न में सुधार लाने, बीमा बाजार में अधिक खिलाड़ियों के प्रवेश को सुगम बनाने, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने पर विचार करेगा।

अगर कंपोजिट इंश्योरेंस रजिस्ट्रेशन का प्रस्ताव पास हो जाता है तो इन कंपनियों के लिए सॉल्वेंसी मार्जिन और कैपिटल रिक्वायरमेंट में बदलाव होगा। प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि संचालन के आकार और पैमाने, बीमा व्यवसाय के वर्ग या उप-वर्ग और बीमाकर्ता की श्रेणी या प्रकार को ध्यान में रखते हुए भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा न्यूनतम चुकता पूंजी निर्धारित की जानी चाहिए। मौजूदा कानून के मुताबिक मौजूदा सॉल्वेंसी रेशियो 150 फीसदी है, जबकि पेड अप कैपिटल 100 करोड़ रुपये है। वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बीमा सेक्टर का विस्तार करने, दक्षता में सुधार करने और नए-नए उत्पाद पेश करने के लिए न्यूनतम पूंजी की सीमा में कमी सहित बीमा कानून में कई बदलावों की पेशकश की है।

बीमा सेक्टर की तस्वीर

2021-22 के दौरान भारत में बीमा की पहुंच 4.2 प्रतिशत थी। एक साल पहले भी यह लगभग इतना ही था, हालंकि भारत में बीमा घनत्व 2020-21 में 78 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 91 अमेरिकी डॉलर हो गया। बीमा सघनता के स्तर में वर्ष 2010-11 में 2001-02 में 11.5 अमेरिकी डॉलर से लगातार 64.4 अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है।

वर्तमान में 24 जीवन बीमा कंपनियां और 31 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां हैं, जिनमें कृषि बीमा कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड कंपनियां भी हैं। 2015 में विदेशी निवेश कैप को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के लिए बीमा अधिनियम में संशोधन किया गया था।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Edited By:Sachin Lahudkar

फ्रेंचाइजी लेकर आप भी दे सकते हैं डाकघर की सेवाएं

Aajtakkhabar:देश के करोड़ों लोग बचत करने के लिए पोस्ट ऑफिस पर भरोसा करते हैं। पोस्ट ऑफिस का नेटवर्क भी पूरे देशभर में फैला हुआ है, लेकिन अभी भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां कनेक्टिविटी उतनी अच्छी नहीं है। अपने नेटवर्क में विस्तार के लिए इंडियन पोस्ट ने कुछ समय पहले फ्रेंचाइजी सर्विस लॉन्च की थी।

इसके बाद आप आसानी से पोस्ट ऑफिस की फ्रेंचाइजी ले सकते हैं। इसके जरिए आप भी अपने इलाके में पोस्ट ऑफिस वाली सुविधाएं मुहैया करा सकते हैं। आइए जानते हैं इस योजना के बारे में…

फ्रेंचाइजी स्कीम

पोस्ट ऑफिस की वेबसाइट के अनुसार, दो प्रकार की पोस्ट ऑफिस फ्रेंचाइजी होती हैं। पहला आउटलेट फ्रेंचाइजी और फ्रेंचाइजी पोस्टल एजेंट्स। आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई भी फ्रेंचाइजी प्लान चुन सकते हैं।

कौन कर सकता है आवेदन?

18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति फ्रेंचाइजी के लिए आवेदन कर सकता है। आवेदन करने वाले व्यक्ति का कोई भी परिवारजन पोस्ट डिपार्टमेंट मे कर्मचारी नहीं होना चाहिए। वहीं, किसी सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल से 8वीं पास होना चाहिए।

 फ्रेंचाइजी की लागत

आउटलेट फ्रेंचाइजी, पोस्टल एजेंट्स की तुलना की में काफी किफायती होते हैं, क्योंकि इसमें केवल सर्विसिंग का कार्य होता है। स्टेशनरी पर खर्च होने की वजह से पोस्टल एजेंट्स थोड़ा महंगा होता है। पोस्ट ऑफिस फ्रेंचाइजी के लिए कम से कम 200 स्क्वायर फीट का ऑफिस जगह होनी चाहिए। इसके अलावा 5000 रुपये का सिक्योरिटी अमांउट होना चाहिए। इसे जमा करने के बाद आपकी फ्रेंचाइजी खोलने के लिए अनुमति मिल जाएगी।

 फ्रेंचाइजी खोलने की कमाई

फ्रेंचाइजी खोलने के बाद आप डाक टिकट, स्पीड पोस्ट, मनी ऑर्डर आदि कई तरह की सर्विस देकर कमाई कर सकते हैं। एक डाक पोस्ट की बुकिंग पर आपको 3 रुपये, स्पीड पोस्ट पर 5 रुपये, पोस्टेज स्टांप और स्टेशनरी की बिक्री पर आपको 5 प्रतिशत कमीशन मिलता है।

Edited By: Sachin Lahudkar